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राजा का काम है प्रजा की रक्षा

Mohan Bhagwat

Nagpur, Apr 03 (ANI): Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Chief Mohan Bhagwat addresses the gathering during the book launch of 'Yugandhar Shivarai', at Mundle Sabhagruh in Nagpur on Wednesday. (ANI Photo)

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बेकसूर पर्यटकों की हत्या पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राजा का काम प्रजा की रक्षा करना है। राजधानी दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने रामायण और महाभारत का हवाला भी दिया और कहा कि जरुरत होने पर लड़ना पड़ता है। उन्होंने महाभारत में अर्जुन के लड़ने की मिसाल दी और कहा कि सामने जो लोग थे वे मानने वाले नहीं थे। उन्होंने रावण की भी मिसाल दी। एक तरह से उन्होंने प्रजा की रक्षा के लिए लड़ने का आह्वान किया।

मोहन भागवत ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय में स्वामी विज्ञानंद की किताब ‘हिंदू मेनिफेस्टो’ का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है, राजा को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए’। उनके इस बयान के बाद माना जा रहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को इशारों में कहा है कि वह देश के नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकी है और नागरिकों की रक्षा के लिए उसे कुछ करना चाहिए।

गौरतलब है कि मोहन भागवत ने पहलगाम हमले के बाद मुंबई के एक कार्यक्रम में बयान दिया था। शनिवार को उन्होंने दूसरी बार बयान दिया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, ‘अहिंसा हमारा स्वभाव है, हमारा मूल्य है, लेकिन कुछ लोग नहीं बदलेंगे, चाहे कुछ भी कर लो, वे दुनिया को परेशान करते रहेंगे, तो उनका क्या करें’। उन्होंने कहा, ‘दुनिया को हमें बहुत सिखाना है और हमारे पास बहुत है। हमारी अहिंसा लोगों को बदलने के लिए है। उन्हें अहिंसक बनाने के लिए है। कुछ लोग तो बन गए, लेकिन कुछ नहीं बने। वे इतने बिगड़े हैं कि कुछ भी करो वे नहीं बदलेंगे। बल्कि दुनिया में और उपद्रव करेंगे’।

बहरहाल, शनिवार को पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम से पहले पहलगाम में मारे गए 26 लोगों के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया। भागवत ने किताब के बारे में कहा, “यह किताब ‘हिंदू मेनिफेस्टो’ चर्चा के लिए है, आम सहमति बनाने के लिए है। यह एक प्रस्ताव है, इसे बहुत स्टडी के बाद बनाया गया है। इसमें बताया है कि आज आम सहमति की जरूरत है, क्योंकि दुनिया को एक नया रास्ता चाहिए। दुनिया दो रास्तों के बारे में सोचती है, उन्होंने दोनों रास्तों पर कदम रखा और तीसरा रास्ता चाहिए था, जो भारत के पास है। दुनिया को रास्ता दिखाना भारत की जिम्मेदारी है। यह परंपरा के रूप में भारत के पास है”।

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