नई दिल्ली। भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है। पहली बार भारत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन यानी आईएसएस पर पहुंचा है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला गुरुवार की शाम को तीन अन्य एस्ट्रोनॉट्स के साथ आईएसएस पर पहुंचे। उनका यान गुरुवार, 26 जून को शाम ठीक चार बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचा। 28 घंटे के सफर के बाद शुभांशु आईएसएस पहुंचे हैं। आईएसएस पर डॉकिंग के करीब दो घंटे बाद ठह बजे स्पेस स्टेशन का दरवाजा खुला और सभी एस्ट्रोनॉट अंदर दाखिल हुए। शुभांशु ने आईएसएस से अपने पहले संदेश में कहा कि यह कोई उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि देश की उपलब्धि है।
गौरतलब है कि शुभांशु आईएसएस पर जाने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत संघ के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। बहरहाल, आईएसएस पर स्वागत समारोह में शुभांशु ने अपने पहले संदेश में कहा, ‘ये मेरी किस्मत है कि मैं उन चंद लोगों में शामिल हो सका, जिन्होंने स्पेस स्टेशन से पृथ्वी का नजारा देखा। आपके प्यार और आशीर्वाद से मैं इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर पहुंचा हूं। यहां खड़ा होना बहुत आसान दिख रहा है, लेकिन ये सब काफी मुश्किल है। मेरा सर भारी है और थोड़ी तकलीफ हो रही है। लेकिन ये सब बहुत छोटी चीजें हैं, कुछ ही दिनों में हमें इसकी आदत हो जाएगी’।
इससे पहले शुभांशु ने दिन में अपने अंतरिक्ष यान से लाइव प्रसारण किया था। इसमें उन्होंने देश के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस यात्रा का हिस्सा रहा है। मैं समझता हूं कि यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह आप सभी की सामूहिक उपलब्धि है, जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं। मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। परिवार और दोस्तों को भी.. आपका समर्थन बहुत मायने रखता है। यह सब आप सभी की वजह से संभव हुआ है’।
अंतरिक्ष यान में लाइव बातचीत में शुभांशु ने कहा, नमस्कार फ्रॉम स्पेस! ‘यहां एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं… अंतरिक्ष में चलना और खाना कैसे है’। गौरतलब है कि एक्सिओम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर 12 बजे सभी शुभांशु सहित चार एस्ट्रोनॉट आईएसएस के लिए रवाना हुए थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण छह बार टाला गया था। अब शुभांशु व अन्य अंतरिक्ष यानी अगले 14 दिन तक वहां कई चीजों पर शोध करेंगे। शुभांशु की इस यात्रा से भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन को लाभ मिलेगा।