Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

फिर चुनावी बॉन्ड लाएगी भाजपा

Loksabha elections Nirmala Sitharaman

Loksabha elections Nirmala Sitharaman

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी बॉन्ड योजना का बचाव करने के बाद अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसके समर्थन में उतरी हैं। उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र में फिर से भाजपा की सरकार बनती है तो चुनावी बॉन्ड योजना को फिर से लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया था और चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगा दी थी। लेकिन सरकार अब भी दावा कर रही है कि यह योजना चुनावी चंदे में पारदर्शिता के लिए लाई गई थी।

लोकसभा चुनाव के बीच विपक्ष इस योजना को सबसे बड़ा घोटाला बता रहा है और राहुल गांधी इसे वसूली की योजना कह रहे हैं। इस बीच पिछले दिनों एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि इस पर हल्ला मचाने वाले सभी लोग बाद में पछताएंगे क्योंकि इसके बंद होने से काले धन का रास्ता खुल गया है। अब अंग्रेजी के एक अखबार ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में निर्मला सीतारमण ने कहा है- अगर हम सत्ता में आए तो चुनावी बॉन्ड योजना को फिर से वापस लाएंगे। उन्होंने इसमें कुछ बदलाव का संकेत देते हुए कहा- इसके लिए पहले बड़े स्तर पर सुझाव लिए जाएंगे।

वित्त मंत्री के इस बयान पर तीखा तंज करते हुए कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सवालिया लहजे में कहा कि इस बार वे कितना लूटेंगे। रमेश ने सोशल मीडिया में लिखा है- हम जानते हैं कि भाजपा ने पे पीएम घोटाले से चार लाख करोड़ की लूट की। अब वे लूट जारी रखना चाहते हैं। जरा इन तरीकों पर ध्यान दें। पे पीएम: 1- चंदा दो, धंधा लो। 2. पोस्टपेड घूस- ठेका दो, रिश्वत लो। प्री-पेड और पोस्टपेड के लिए घूस- 3.8 लाख करोड़। 3. पोस्ट-रेड घूस- हफ्ता वसूली। पोस्ट-रेड घूस की कीमत- 1853 रुपए। 4. फर्जी कंपनियां- मनी लॉन्ड्रिंग। फर्जी कंपनियों की कीमत- 419 करोड़। अगर वे जीते और इलेक्टोरल बॉन्ड फिर से लेकर आए तो इस बार कितना लूटेंगे?

गौरतलब है कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक चंदे के लिए लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह योजना असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इसके बाद अदालत ने स्टेट बैंक को निर्देश देकर चुनावी बॉन्ड का पूरा डाटा सार्वजनिक कराया, जिससे कई भेद खुले। कई फर्जी कंपनियों के चंदा देने की बात भी सामने आई।

Exit mobile version