नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बड़ी पहल करते हुए लोकसभा व सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के बारे में सुझाव देने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। यह पहली बार है, जब किसी पूर्व राष्ट्रपति को इस तरह की कोई जिम्मेदारी दी गई है। इससे एक दिन पहले गुरुवार को केंद्र सरकार ने संसद का पांच दिन का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया। माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में एक देश, एक चुनाव का बिल लाया जा सकता है।
बहरहाल, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की समिति सारे चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव कराएगी या नहीं। इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा, जिसे दोनों सदनों में दो-तिहाई से बहुमत से पास कराने के साथ साथ देश के 15 राज्यों की विधानसभा से भी मंजूरी लेनी होगी।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई कोविंद कमेटी एक देश, एक चुनाव के प्रस्ताव से जुड़े कानूनी पहलुओं पर गौर करने के साथ ही आम लोगों की राय भी लेगी। इस बीच, भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को कोविंद से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। बताया जा रहा है कि जल्दी ही सरकार की ओर से कोविंद कमेटी की अधिसूचना जारी होगी और दूसरे सदस्यों को इसमें नियुक्त किया जाएगा।
सरकार की ओर से अचानक इस मसले पर कमेटी बनाए जाने के बाद विपक्षी पार्टियों ने इस पर सवाल उठाए। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई। इसका जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री, प्रहलाद जोशी ने कहा- अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। बस समिति बनाई गई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह कल से ही हो जाएगा।