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अयोध्या धाम में विराजे रामलला

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आखिरकार रामलला विराजमान हो गए। अयोध्या में बने भव्य मंदिर में एक भव्य कार्यक्रम में सोमवार को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई। वैदिक रीति-रिवाज से मंत्रोच्चार के बीच प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने देश के अलग अलग हिस्सों व अलग अलग जाति, समुदायों के अन्य यजमानों के साथ भगवान राम की पूजा अर्चना की और प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की। इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गर्भ गृह में मौजूद रहे।

इससे पहले दोपहर 12 बजे के करीब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला के वस्त्र व लाल कपड़ों में लिपटा चांदी का छत्र लेकर पैदल चलते हुए नवनिर्मित राम मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर तक पहुंचे और गर्भगृह में प्रवेश किया। गर्भगृह में मुख्य पुरोहित मोहित पांडे ने प्रधानमंत्री मोदी अभिषेक के लिए संकल्प कराया और उसके बाद मंत्रोच्चारण के बीच अनुष्ठान शुरू हुआ। ठीक 12 बज कर 29 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके बाद भगवान की आरती हुई और आरती के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने साष्टांग दंडवत होकर भगवान राम को प्रणाम किया और इसके साथ ही अनुष्ठान संपन्न हो गया।

पूजा संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी सहित सभी अतिथियों ने रामलला की दीपों से आरती की। आरती के दौरान मोदी ने चंवर डुलाकर रामलला की सेवा भी की। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का विधान पूरा हुआ तो मोदी ने गर्भगृह से निकलकर रामलला को साष्टांग प्रणाम किया। फिर मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का आशीर्वाद लिया। इससे पहले सात दिनों में अयोध्या नगरी में लगातार मंत्र पाठ चलता रहा था। इस महोत्सव में होने वाली वैदिक क्रियाएं और शुभ संस्कार 16 तारीख से शुरू हो गए थे। काशी के 121 वैदिक कर्मकांडी ब्राह्मणों ने इन मंत्रों का सिलसिलेवार ढंग से धाराप्रवाह वाचन किया।

शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर के ऊपर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा की गई। इसके पहले पवित्र अक्षत भी बरसाए गए थे। कार्यक्रम आरंभ होने से पहले प्रधानमंत्री ने मंदिर का वीडियो लिंक साझा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- अयोध्या धाम में श्री राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का अलौकिक क्षण हर किसी को भाव-विभोर करने वाला है। इस दिव्य कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरा परम सौभाग्य है। जय सियाराम! गौरतलब है कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर कई तरह के विवाद हुए और शंकराचार्यों ने इस पर सवाल भी उठाए तो इसे शास्त्र विरूद्ध भी बताया। लेकिन सोमवार, 22 जनवरी को पूरा देश इस कार्यक्रम से जुड़ा।

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