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मणिपुर हिंसा के दो साल

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नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा के दो साल पूरे हो गए हैं। तीन मई को दो साल पूरे होने पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर में नहीं जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि उन्होंने मणिपुर से दूरी बनाए रखी है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य की स्थिति संभालने में विफल साबित हुए हैं। गौरतलब है कि तीन मई 2023 को राज्य में जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें अब तक तीन सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर हिंसा के दो साल पूरे होने पर कहा, ‘मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन जारी है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं, सिर्फ निलंबित है। कई नागरिक संगठन इसके विरोध में हैं’। रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘भाजपा ने फरवरी 2022 में भारी जनादेश के साथ मणिपुर में सरकार बनाई और आज से ठीक दो साल पहले राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। राज्य की पीड़ा और तकलीफ अब भी जारी है। राजनीतिक खेल खेले जा रहे हैं। कोई सार्थक सुलह प्रक्रिया नहीं चल रही है। 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। लोग बहुत तनाव की स्थिति में राहत शिविरों में रह रहे हैं’।

गौरतलब है कि तीन मई 2023 को कुकी और मैती समुदाय के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है। इन दो सालों में तीन सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। डेढ़ हजार से ज्यादा घायल हुए, जबकि 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। जातीय हिंसा के दो साल होने पर शनिवार को मैती असर वाले इम्फाल घाटी में मैती समूह समन्वय समिति मणिपुर अखंडता ने बंद का आयोजन किया तो कुकी छात्र संगठन ने पहाड़ी जिलों में बंद बुलाया। इस दौरान पूरे राज्य में सभी स्कूल-कॉलेज, सरकारी कार्यालय और दूसरे संस्थान बंद रहे। राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।

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