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विदेश में कोई सिंदूर स्वीकार नहीं रहा

ऑपरेशन सिंदूर

भारत के 50 नेता और आठ राजदूत दुनिया के देशों का दौरा कर रहे हैं। ये बता रहे है कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है और भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उसकी जमीन पर बने आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। भारत के सांसदों, नेताओं और राजदूतों के प्रतिनिधिमंडल के अलावा विदेश मंत्री और विदेश सचिव के अलग दौरे हुए हैं।

सब मिल कर उस पाकिस्तान को विलेन बताने का अभियान चला हैं, जिसके बारे में पूरी दुनिया को पहले  से पता है। पर भारत सरकार ने जितने बड़े पैमाने पर यह अभियान चलाया उस पैमाने पर इसका असर नहीं दिखा है। दुनिया के किसी भी देश में ऐसे लोग भारतीय प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिल रहे हैं, जो कुछ असर या मायने रखते हैं।

अलग अलग देशों में भारत का दूतावास कुछ कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कुछ नेताओं और थिंकटैंक से भारत से गए नेताओं की मुलाकात कराई जा रही है। उन देशों के स्थानीय मीडिया में भारतीय डेलिगेशन को लेकर खबरें नहीं छप रही है। भारत की एक निजी समाचार एजेंसी के जरिए जरूर वीडियो आ रहे हैं और उसमें भी हर जगह सिर्फ शशि थरूर की चर्चा दिखी है। वे कुछ विवादित बोल रहे हैं और उनकी बातों से लग रहा है कि उनका भी मकसद दुनिया में भारत का पक्ष रखना नहीं है, बल्कि भारत में अपनी पोजिशनिंग करनी है।

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रचार का असर

भारत के प्रतिनिधिमंडल का विदेशी मीडिया नोटिस नहीं ले रहा है, यह इस बात से प्रमाणित होता है कि सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कर रहे किसी नेता या किसी सदस्य ने विदेशी मीडिया की क्लिपिंग या वीडियो शेयर नहीं किए हैं। वे अपनी मुलाकातों की तस्वीरें और वीडियो खुद अपने सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं या एएनआई और पीटीआई के हवाले से खबर आ रही है। ध्यान रहे पिछले दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोप के दौरे पर थे तो वहां डच मीडिया को दिया उनका इंटरव्यू और वहां की खबरें भारत में खूब वायरल हुईं।

लेकिन ऐसा कोई वीडियो या कोई अखबारी कतरन किसी सांसद या नेता ने साझा नहीं की है। सबसे हाई प्रोफाइल डेलिगेशन शशि थरूर का है। उन्होंने अपनी अमेरिका यात्रा को लेकर सोशल मीडिया में 11 वीडियो क्लिप साझा किए हैं और सारे एएनआई के हैं।

इनमें से दो या तीन में पीटीआई का माइक भी दिखा है। उन्होंने बाद की यात्राओं का ब्योरा देते हुए बताया कि पनामा और कोलंबिया की मीडिया ने उनका इंटरव्यू किया लेकिन उस इंटरव्यू का कोई हिस्सा उन्होंने साझा नहीं किया है। इसका मतलब है कि अमेरिका या दुनिया के दूसरे देशों में मीडिया में इसकी कोई खबर या चर्चा नहीं है। भारत के सात भारी भरकम डेलिगेशन दुनिया घूम रहे है और खबर सिर्फ भारत में छप रही है! सोचें, ऐसे डेलिगेशन का क्या मतलब है?

जिस समय भारत का डेलिगेशन अमेरिका में था उसी समय अमेरिका के वाणिज्य मंत्री ने वहां यूएस इंटरनेशन ट्रेड कोर्ड में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ का भय दिखा कर भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु शक्ति वाले देशों के बीच सीजफायर कराया और लाखों लोगों की जान बचाई इसलिए ट्रंप की टैरिफ लगाने की शक्ति सीमित नहीं की जाए। क्या भारतीय डेलिगेशन को अमेरिकी मीडिया में इसका खंडन नहीं करना चाहिए था? लेकिन ऐसा कुछ होने की खबर अमेरिका से नहीं आई है। वहां एएनआई को दिए इंटरव्यू में भी थरूर ने इसका जिक्र नहीं किया।

Pic Credit: ANI
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