Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

कश्मीर में सियासी मुद्दा

29 सितंबर को जम्मू कश्मीर में तीसरे और आखिरी चरण के मतदान के लिए प्रचार का आखिरी दिन था। लेकिन कश्मीर के अनेक नेताओं ने नसरल्लाह के लिए शोक मनाने का फैसला किया। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती प्रचार के आखिरी दिन प्रचार करने नहीं निकलीं और उन्होंने नसरल्लाह को शहीद बताया। श्रीनगर से फारूक अब्दुल्ला की पार्टी के सांसद आगा रूहुला मेहदी ने भी नसरल्लाह के मारे जाने को महान शहादत बताया। रविवार, 29 सितंबर को श्रीनगर और बडगाम दोनों जगह बड़ा प्रदर्शन हुआ। बड़ी संख्या में कश्मीरी मुस्लिम नसरल्लाह के पोस्टर और बैनर लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए। उसी दिन कारगिल में मुस्लिम संगठनों ने एक दिन के बंद का आयोजन भी किया।

सबसे बड़ा प्रदर्शन लखनऊ में हुआ। गौरतलब है कि लेबनान का हिजबुल्लाह एक शिया संगठन है और नसरल्लाह इसी समुदाय से आता था। तभी शिया आबादी वाले  सबसे बड़े शहर लखनऊ में बड़ा प्रदर्शन हुआ। बड़ा इमामबाड़ा से शिया समुदाय का जुलूस निकला। इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए, जो इजराइल के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। लखनऊ में शिया संगठनों ने तीन दिन के शोक की घोषणा की। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने सभी मुसलमानों से अपने घर पर काला झंडा लगाने को कहा। शिया समुदाय के नेता कल्बे जव्वाद ने नसरल्लाह के मारे जाने को शहादत बताया। उत्तर प्रदेश के अमेठी में भी जुलूस निकाला गया लेकिन बिना अनुमति जुलूस निकालने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। सुल्तानपुर में भी विरोध प्रदर्शन हुए। राजधानी दिल्ली में भी सोमवार, 30 सितंबर को शिया समुदाय ने नसरल्लाह के लिए शोक सभा का आयोजन किया। कोलकाता में भी शिया मुस्लिमों के संगठनों ने शोक सभा की, जिसमें इजराइल और उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ नारेबाजी हुई।

इजराइल की जंग का दायरा जैसे जैसे बढ़ रहा है और ज्यादा देश इसमें शामिल हो रहे हैं वैसे वैसे इजराइल का विरोध भी बढ़ रहा है। सड़कों पर लोग इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के पुतले फूंक रहे हैं तो सोशल मीडिया में नेतन्याहू को युद्ध अपराधी घोषित किया जा रहा है। सोशल मीडिया में इजराइल विरोध का दायरा बहुत बड़ा हो गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सिर्फ मुसलमानों के हैंडल से ही नहीं, बल्कि भाजपा का विरोध करने वाले ज्यादा सोशल मीडिया हैंडल से इजराइल के हमला का विरोध किया जा रहा है। इसके मुकाबले इजराइल समर्थक इकोसिस्टम ज्यादा कारगर नहीं दिख रहा है।

Exit mobile version