Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

चिंगारियों से यदि युद्ध हुआ तो?

प्रधानमंत्री

लाख टके का सवाल है कि पाकिस्तानी सेना भारत के मिसाइल हमलों या एयर-ड्रोन स्ट्राइक को बालाकोट की तरह आया-गया होने देगी या बदले में जवाब देगी? नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है, स्वतंत्र भारत के इतिहास में उनका यह अप्रतिम योगदान है जो उन्होंने राष्ट्र, समाज के हर पहलू, चुनौती को प्रोपेगेंडा का पीक दिया है, जिसमें भारत हमेशा एवरेस्ट से हवा-हवाई बातें करता है। याद करें, बालाकोट पर एयर स्ट्राइक के बाद देश ने प्रधानमंत्री को कैसे टैंक में खड़े सेनापति की फोटो में देखा था। कैसे भारत का काला धन गंगा नदी में बह गया था। कैसे बनारस क्योटो में बदला! कैसे भारत हार्डवर्क से हार्वर्ड का भी विश्व गुरू हुआ! कैसे गरीब भारत, विकसित भारत के जुमले में बदला! कैसे महामारी को हमने ताली-थाली से भगाया! और कैसे अब पृथ्वी के आखिरी कोने तक पहलगाम के आतंकियों और उनके आकाओं को तलाश कर उन्हें भारत वह सजा देगा, जिसकी कल्पना भी नहीं की होगी। तभी पिछले आठ दिनों में सरकार के प्रोपेगेंडा का कमाल देखिए कि मीडिया, सोशल मीडिया में पहले से ही उद्घोष है कि पाकिस्तान प्यासा मर रहा है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख भाग गया है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री डर से थर-थर कांप रहा है! पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े हो रहे हैं। वह अनाथ हो गया है! सोचें, ज्योंहि मिसाइल हमले हुए तो सोशल मीडिया कैसे नरेंद्र मोदी को नेपोलियन से कितना बड़ा रणबांकुरा घोषित करेगा!

मतलब सब कुछ, पाकिस्तान से बदला लेने से लेकर उसे प्यासा मारने, उसके बिखरने की बातों, जुमलों, भाव भंगिमा और हल्लाबोल प्रोपेगेंडा के ही पीक से होगा। उधर पाकिस्तानी भी कम नहीं है। आखिर है तो अखंड भारत के मूलवासी। सो, उनकी हद देखें कि लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग का सैन्य कर्नल तैमूर उच्चायोग की इमारत की बालकनी पर खड़ा हो कर अपने हाथ में भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन की तस्वीर दिखलाते हुए था। वह अहंकार पाकिस्तानी सेना की तासीर का प्रतीक है।

इसलिए दोनों तरफ से चिंगारियों की भरमार है। वे आगे और बढ़ेंगी। दोनों देश जुबानी जंग में ही फंस कर एक दूसरे पर मिसाइल या एयर-ड्रोन हमले करें तो उसके बाद संयम से गुस्सा, गुब्बार निकाल लेंगे या परस्पर बदले में ऐसी की तैसी में मैदानी लड़ाई के लिए पैदल सैनिकों और टैंकों को आगे बढ़ाएंगे? यह असल और गंभीर सवाल है।

ध्यान रहे अभी तक की सभी लड़ाइयों में पाकिस्तान ने घुसपैठ करा, हमला करके युद्ध की शुरुआत की है। इस बार भारत ने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान को सबक सिखाने का लक्ष्य घोषित किया है। यह छोटी सी बात है पर अहम है। सो पाकिस्तान के लिए लड़ाई बढ़ाने और बालाकोट का बदला लेने का भी मौका है।

पिछली जमीनी लड़ाइयों और अब की स्थिति में एक बुनियादी फर्क है कि भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है। ध्यान रहे भारत ने एटमी हथियार का पहले उपयोग नहीं करने (No First Use, NFU) के सूत्र को माना हुआ है। हालांकि इससे वह कानूनी तौर पर बंधा हुआ नहीं है। मगर विश्व बिरादरी में अपने कहे से नैतिक तौर पर बंधा है। इससे भारत का मान-सम्मान भी है। जबकि पाकिस्तान ने ऐसा कोई वायदा नहीं किया है। पाकिस्तान ने एनएफयू की हामी नहीं भरी हुई है। भारत और पाकिस्तान हर साल एक जनवरी को अपने एटमी ठिकानों और संयंत्रों के अक्षांश और देशांतर की जानकारी एक दूसरे से शेयर करते हैं। ताकि “जब भी कोई परिवर्तन हो” तो वह दूसरे के ध्यान में रहे। लेकि न युद्ध के सामरिक परमाणु हथियारों (टैक्टिकल न्यूक्लियर वारहेड्स) का प्रयोग ‘गैर-आक्रमण परमाणु समझौते’ (Non-Attack Nuclear Agreemen) में नहीं मानाजाता।

उनका अचानक इस्तेमाल संभव है। कोलोराडो और रटगर्स विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच यदि परमाणु युद्ध होता है, तो वह एक सप्ताह में ही खत्म हो जाएगा। इस दौरान पांच से साढ़े 12 करोड़ लोग मारे जा सकते हैं। ऐसी जंग में पहले चरण में भारत और पाकिस्तान कोई ढाई सौ परमाणु हथियार एक-दूसरे के शहरों पर फोड़ सकते हैं। भारत बड़ा है, लगभग चार सौ शहर हैं, तो पाकिस्तान “मध्यम और बड़े आकार के शहरों” को पहले निशाना बनाएगा वहीं भारत पाकिस्तान के हर मध्यम या बड़े शहर पर हमला कर उन्हें तबाह कर सकता है।

पर मेरा मानना है चिंगारियों से केवल सोशल मीडिया, प्रोपेगेंडा की जंग को नए-नए एंगल मिलेंगे। ऐसा कुछ भी नहीं होना है, जिससे लगे कि आतंकियों और उनके आकाओं को कल्पना से बड़ी सजा मिली है।

Exit mobile version