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दुनिया का मुसलमान क्या सोच रहा होगा?

पूरी दुनिया में 57 मुस्लिम देश हैं। दिल्ली के चाणक्यपुरी से गुजरें तो इस्लामिक रिपब्लिक देशों के बोर्ड भरे दिखाई देंगे। लेकिन ये इस्लामिक रिपब्लिक देश एकजुट होकर ईरान के बचाने की कोशिश नहीं करेंगे। वे सिर्फ इजराइल के हमले की निंदा करके रह जाएंगे? तभी बड़ा सवाल है कि इस समय पूरी दुनिया का मुसलमान क्या सोच रहा होगा? क्या उसके दिमाग में यह बात नहीं घूम रही होगी कि जिस इजराइल को सभी इस्लामिक मुल्कों ने दुष्ट माना वह एक के बाद एक जगहों पर इस्लाम को मानने वालों के ऊपर हमले कर रहा हैं, उनकी हत्या कर रहा है या जीवन नरक बना रहा है और इस्लामिक मुल्क चुपचाप तमाशा देख रहे हैं? इजराइल ने दुनिया के देशों से अपील की है कि अगर उन्होंने ईरान को नहीं रोका तो सिर्फ इजराइल नष्ट नहीं होगा, बल्कि आगे उनकी बारी होगी। क्या मुस्लिम मुल्क के लोग ऐसा नहीं सोच रहे होंगे कि अगर इजराइल ने ईरान में खामेनेई की सत्ता खत्म की या गाजा खाली कराया तो आगे दूसरे मुल्कों की बारी हो सकती है?

ये सारे सवाल बहुत अहम हैं लेकिन यह भी हकीकत है कि दुनिया में सिर्फ धार्मिक पहचान के आधार पर कूटनीति नहीं होती हैं। इस्लामिक देशों के भीतर आपसी झगड़े बहुत हैं और शिया  ईरान के खिलाफ सुन्नी सऊदी अरब और सहयोगी देशों की नाराजगी बहुत पुरानी है। इसको देखते हुए ही अमेरिका ने पश्चिम एशिया के अलग अलग देशों के साथ अपना एलायंस बनाया है। उसने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ इजराइल को अब्राहम अकॉर्ड के साथ बांधा है। मिस्र से लेकर जॉर्डन और कतर जैसे देशों में अपने ठिकाने बनाए हैं। कुवैत के झगड़े में उसने इराक पर हमला किया था, जब पहला खाड़ी युद्ध हुआ था।

माना जा रहा है कि इराक जैसा हाल ही वह ईरान का करने वाला है। सो, सारे देश भू राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ईरान का साथ देने या नहीं देने का फैसला करेंगे। सिर्फ इसलिए कि मुस्लिम मारे जा रहे हैं और उनको बचाना चाहिए कोई मुस्लिम मुल्क साथ देने नहीं जाएगा। तमाम संकटों में दुनिया ने देखा है कि यूरोप के ईसाई देशों ने मुस्लिम शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले परंतु  किसी मुस्लिम मुल्क ने उनको अपने यहां नहीं रखा। यूरोप आज इसका बड़ा खामियाजा भुगत रहा है।

सोशल मीडिया में देखें तो मुसलमानों की पूरी सहानुभूति ईरान के साथ है। सब इजराइल और अमेरिका को दुष्ट देशों की धुरी बता कऱ उनका नामोनिशान धरती से मिटा देने की कसमें खा रहे हैं। वे अपने हुक्मरानों को ललकार रहे हैं कि वे उठ कर खड़े हों और इजराइल को धरती से मिटा दें। अरब दुनिया का अस्तित्व बचाए रखने के लिए इसको जरूरी बताया जा रहा है। इसी सोच को दिखाने वाली खबर पिछले दिनों आई थी कि पाकिस्तान ने ईरान से कहा है कि वह अपना परमाणु बम दे सकता है इजराइल पर हमला करने के लिए। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने इसका खंडन किया। सोशल मीडिया में और कतर के न्यूज चैनल ‘अल जजीरा’ में लगातार गाजा और ईरान में मुसलमानों की तकलीफों के वीडियो आ रहे हैं। घायल मुसलमानों की तस्वीरें दिखाई जा रही हैं। छोटे बच्चों और महिलाओं के शव दिखाए जा रहे हैं। इसलिए यह संभव नहीं कि  मुस्लिम आवाम मन ही मन खदबदा रही हो।

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