इसी तरह शिव सेना नेता श्रीकांत शिंदे की अध्यक्षता में संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गया डेलिगेशन वहां के सहिष्णुता मंत्री यानी टॉलरेंस मिनिस्टर से मिला। भारत के डेलिगेशन से मिलने के लिए टॉलरेंस मिनिस्टर को अधिकृत करना ही अपने आप में बहुत कुछ कहता है। बहरहाल, यूएई के टॉलरेंस मिनिस्टर शेख नाह्यान बिन मुबारक अल नाह्यान ने शिंदे की कमेटी से कहा कि आतंकवाद सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदा के रूप एक साथ आना चाहिए और मानवता के बेहतर भविष्य की योजना बनानी चाहिए।
अल नाह्यान ने कहा कि उनका देश पहले ही आतंकवाद से लड़ने में भारत के साथ सहयोग कर रहा है। उन्होंने भारत को रणनीतिक साझीदार बताया। बाद में शिंदे ने मीटिंग को बहुत फलदायी बताया। लेकिन हकीकत यह है कि यूएई ने वह नहीं कहा, जो भारत सुनना चाहता है। उसने यह नहीं कहा कि भारत ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए जो किया या पहलगाम का बदला लेने के लिए जो कार्रवाई की वह ठीक थी। श्रीकांत शिंदे की अध्यक्षता वाला डेलिगशन यूएई के अलावा लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन जाएगा।
सोचें, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऑपरेशन सिंदूर पर इतना बोल चुके हैं, जितना भारत के नेताओं ने भी नहीं बोला है। ट्रंप के साथ साथ उनके विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रूबियो को एक एक चीज पता है। सो, शशि थरूर वहां क्या नया बताएंगे? बहरहाल, बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में एक डेलिगेशन सउदी अरब, कुवैत, बहरीन और अलजीरिया के दौरे पर है। रविशंकर प्रसाद का डेलिगेशन ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क औरर यूरोपीय संघ के दौरे पर गया है। एक डेलिगेशन की नेता सुप्रिया सुले हैं, जिसको मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करना है।
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