विपक्षी पार्टियों को लग रहा था कि चुनाव आयोग ने मसौदा मतदाता सूची से जिन लोगों का नाम काटा है उनकी सूची अलग से जारी नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट में शुरुआती सुनवाई में आयोग ने इससे इनकार भी किया था। तभी पिछली सुनवाई में जब सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार तक सूची जारी करने और नाम काटने का कारण बताने का आदेश दिया तो विपक्षी पार्टियां और याचिकाकर्ता सब मान रहे थे कि आयोग अब फंस गया। उनको लग रहा था कि आयोग ने रैंडम तरीके से यह नाम काटे हैं इसलिए उसके पास तैयार सूची नहीं होगी और अगर होगी भी तो यह बता पाना मुश्किल होगा कि किस मतदाता का नाम किस कारण से काटा गया है। विपक्ष को लग रहा था कि इस सूची में ज्यादा गड़बड़ी पकड़ी जाएगी। ध्यान रहे कई जगह से ऐसी खबरें आई हैं कि आयोग के बूथ लेवल अधिकारियों ने जीवित लोगों को मृत बता कर उनका नाम काट दिया है। 65 लाख की सूची में ऐसी ज्यादा गड़बड़ी पकड़े जाने की उम्मीद की जा रही थी।
अब चुनाव आयोग ने 65 लाख लोगों की सूची जारी कर दी है और बता दिया है कि किस मतदाता का नाम किस कारण से काटा गया है। आयोग ने तीन कारण बताए है। पहला, मतदाता की मृत्यु हो गई है। दूसरा, मतदाता स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट कर गया है और तीसरा, एक ही मतदाता का नाम दो दो जगह पर था। सूची जारी होने के 48 घंटे बाद तक कोई बड़ी गड़बड़ी सामने नहीं आई है। तभी सवाल है कि अब विपक्षी पार्टियां क्या करेंगी? राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बिहार में बड़ी रैली करके मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ यात्रा शुरू की तो उसी दिन चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और शाम में एनडीए ने उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके हेडलाइन बनवाई। 65 लाख लोगों के नाम की सूची जारी होने के बाद विपक्ष अगर इसमें पांच फीसदी भी गड़बड़ी नहीं निकाल पाता है तो फिर इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने में कामयाबी नहीं मिलेगी।