नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन पेटीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ विज्ञापन जारी किया था। सभी अखबारों में पहले पन्ने पर यह विज्ञापन छपा था। तब इसे लेकर बड़ा विवाद हुआ था और यह सवाल उठा था कि कैसे पेटीएम को पता था कि नोटबंदी होने वाली है, जो उसने अगले दिन के अखबारों में पहले पन्ने का विज्ञापन बुक करा रखा था। हालांकि बात आई गई हो गई। लेकिन अब जब से केंद्र सरकार ने जीएसटी में कटौती का ऐलान किया है, तब से कंपनियां लगातार प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों के साथ अपने उत्पाद के विज्ञापन कर रही हैं।
सोमवार, 15 सितंबर सीमेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने अखबारों में विज्ञापन दिया तो उसमें प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगाई। इससे पहले महिंद्रा समूह ने अपनी गाड़ियों का विज्ञापन किया तो प्रधानमंत्री की फोटो लगाई। हीरो कंपनी ने भी प्रधानमंत्री की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन छपवाया। ऐसी अनेक और भी कंपनियां हैं। अब सवाल है कि क्या ये कंपनियां भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्याल की अनुमति से प्रधानमंत्री की तस्वीरों का विज्ञापन में इस्तेमाल कर रही हैं? सूचना के अधिकार कानून के तहत एक सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस बारे में कुछ जानकारी मांगी है। कुणाल शुक्ला ने प्रधानमंत्री कार्यालय को आरटीआई के तहत आवेदन भेजा है और हीरो कंपनी के विज्ञापन में प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने के बारे में अनुमति दिए जाने के आदेश की कॉपी मंगी है। देखते हैं प्रधानमंत्री कार्यालय के जन सूचना अधिकारी क्या जवाब देते हैं।