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राहुल क्या अयोध्या से फोकस हटा पाएंगे?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिस दिन मणिपुर से भारत न्याय यात्रा शुरू करेंगे उसके दो दिन बाद 16 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शुरू होगा। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पहले से तय था। कई महीने पहले इसी तारीख घोषित हो गई थी। लेकिन राहुल की भारत न्याय यात्रा की तारीख 27 दिसंबर को घोषित की गई। यह महज संयोग नहीं है कि राहुल अपनी यात्रा 14 जनवरी से शुरू कर रहे हैं। उनकी दूसरी यात्रा जो पूरब से पश्चिम की होनी थी उसकी चर्चा कई महीनों से चल रही थी। पहले यह भी कहा जा रहा था कि अक्टूबर वे यह यात्रा शुरू कर सकते हैं। लेकिन यात्रा शुरू हो रही है 14 जनवरी से।

अब सवाल है कि क्या राहुल गांधी मणिपुर से जो यात्रा शुरू करेंगे उससे वे अयोध्या के कार्यक्रम से ध्यान हटा पाएंगे या उससे कोई समानांतर नैरेटिव सेट कर पाएंगे? गौरतलब है कि राहुल गांधी ने पिछले साल जो भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी वह कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों के असर वाले इलाके से की थी। तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके की सरकार थी, जहां से यात्रा शुरू हुई थी। उसके बाद केरल और कर्नाटक दोनों राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी थी और बहुत मजबूत थी। एक आंध्र प्रदेश के छोड़ कर बाकी जिस राज्य से भी कांग्रेस की यात्रा गुजरी वहां कांग्रेस बहुत मजबूत थी। लेकिन न्याय यात्रा का शुरुआती चरण ऐसे राज्यों में है, जहां से कांग्रेस लगभग साफ हो चुकी है।

पूर्वोत्तर में किसी राज्य में कांग्रेस का आधार नहीं बचा है। हाल में हुए मिजोरम के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पांच सीटों से घट कर एक सीट पर आ गई है। भाजपा को भी उससे एक सीट ज्यादा मिली है। मणिपुर से शुरू करके वे नगालैंड, असम होते हुए मेघालय जाएंगे और वहां से पश्चिम बंगाल पहुंचेंगे। इन पांच राज्यों में कांग्रेस बहुत कमजोर है। दूसरे, आमतौर पर पूर्वोत्तर की खबरें राष्ट्रीय मीडिया में ज्यादा जगह नहीं पाती हैं। दूसरे, अयोध्या में राम मंदिर के कार्यक्रम को लेकर अभी से जैसा माहौल बन रहा है और सारी दुनिया जिस तरह से इस कार्यक्रम से जुड़ रही है उसे देखते हुए नहीं लगता है कि राहुल की यात्रा पर ज्यादा फोकस बनेगा।

ऊपर से यह मुश्किल है कि भाजपा और दूसरे हिंदुवादी संगठन राहुल की यात्रा को राममंदिर के कार्यक्रम से ध्यान भटकाने का अभियान बता कर इसका विरोध करेंगे। सोशल मीडिया में इसकी चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि सोनिया, राहुल और प्रियंका में से आज तक कोई रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या नहीं गया है। इसलिए अयोध्या के ऐतिहासिक कार्यक्रम के साथ ही राहुल की यात्रा का शुरू होना कांग्रेस के लिए निगेटिव माहौल बनाने वाला भी हो सकता है। कांग्रेस नेताओं को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। वे 14 जनवरी की बजाय 10 दिन बाद भी यात्रा शुरू कर सकते थे।

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