भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को हटा दिया है। वे एक साथ दो पदों पर थे। वे राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी थे। इसलिए एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत का पालन करते हुए उनको हटाया गया और उनकी जगह एक फुल टाइम बिजनेसमैन और पार्ट टाइम नेता दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि दिलीप जायसवाल भी अभी नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री हैं और अध्यक्ष बनने के बाद भी उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है। (BJP Whisper) सो, अभी वे भी एक साथ दो पदों पर हैं। लेकिन उनसे ज्यादा चर्चा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लेकर है।
जेपी नड्डा तो एक साथ चार पद सम्भाल रहे हैं
पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आखिर उनको क्यों नहीं हटाया जा रहा है या उनके साथ कोई कार्यकारी अध्यक्ष क्यों नहीं नियुक्त किया जा रहा है? इसे लेकर नाराजगी है। तभी पिछले दिनों पार्टी के एक पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में कहा कि सम्राट चौधरी को हटा दिया गया लेकिन जेपी नड्डा तो एक साथ चार पद सम्भाल रहे हैं। वहां मौजूद पत्रकारों के लिए यह हैरान करने वाली बात थी कि चार पद कौन से हैं। तब उन्होंने बताया कि नड्डा जी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं, रासायनिक खाद व उर्वरक मंत्री हैं और राज्यसभा में सदन के नेता हैं। जाहिर है उन पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी महोदय की कोई निजी खुन्नस होगी तभी उन्होंने दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी को दो अलग अलग पद गिन लिया।
जल्दी से जल्दी अध्यक्ष पद खाली हो
बहरहाल, अगर दोनों मंत्रालयों को एक ही पद मानें तब भी उनके पास तीन पद हैं। वे पार्टी अध्यक्ष हैं, केंद्रीय मंत्री हैं और राज्यसभा में सदन के नेता हैं। ध्यान रहे राज्यसभा में सदन के नेता को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है। सो, भाजपा के नेताओं का कहना है कि अगर किसी दूसरे सांसद को सदन का नेता बनाया जाएगा तो उसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा और उसका कद बढ़ेगा। इसी तरह यह भी कहा जा रहा है कि नई सरकार में उनको मंत्री बनाए जाने से यह तय हो गया है कि वे मंत्री बने रहेंगे। इसलिए जल्दी से जल्दी अध्यक्ष पद खाली होना चाहिए। उनका विस्तारित कार्यकाल भी खत्म हो गया है।
भाजपा के एक दूसरे नेता ने तंज करने के अंदाज में कहा कि अगर भाजपा के शीर्ष नेताओं को यह लग रहा है कि नड्डा जी को हटाया तो चार राज्यों में पार्टी चुनाव हार जाएगी तो बेशक उनको बनाए रखें लेकिन एक कार्यकारी अध्यक्ष जरूर बना दें, जो पार्टी का फुल टाइम काम देखे। दो दो भारी भरकम मंत्रालय संभालने के बाद नड्डा जी के पास समय कहां बच रहा है कि वे पार्टी का कामकाज देखें। यह भी दिलचस्प है कि जेपी नड्डा खुद भी बेचैन हैं कि वे अध्यक्ष पद से मुक्त हों।