Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

परिवारवाद से प्रशांत किशोर का मौका?

दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ साथ देश के कई राज्यों में उप चुनाव हो रहे हैं। इन उपचुनावों में एक बहुत दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिल रहा है। ज्यादातर जगहों पर पार्टियां नेताओं के रिश्तेदारों को ही उम्मीदवार बना रही हैं। बिहार की चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जहां एनडीए और ‘इंडिया’ ब्लॉक के मुकाबले प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी चुनाव लड़ रही है। पहली बार प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के उम्मीदवार लड़ा रहे हैं। इससे पहले वे दूसरी पार्टियों को चुनाव लड़ाते थे। हालांकि उनके पहले ही कौर में मक्खी पड़ गई है। तरारी सीट पर उन्होंने भारतीय सेना के उप प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह को उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में पता चला कि वे बिहार के मतदाता ही नहीं हैं।

इस झटके के बावजूद प्रशांत किशोर के लिए बिहार के उपचुनाव में इसलिए मौका बना है क्योंकि दोनों गठबंधनों ने नेताओं के रिश्तेदारों पर ही भरोसा जताया है। सुरेंद्र यादव के सांसद बनने से खाली हुई सीट पर राजद ने उनके बेटे विश्वनाथ यादव को टिकट दिया है। इस सीट पर एनडीए की ओर से जदयू ने मनोरमा देवी को टिकट दिया है तो बिंदी यादव की पत्नी हैं। तो बक्सर से सांसद हुए सुधाकर सिंह की खाली की हुई सीट पर उनके भाई अजीत सिंह को टिकट मिली है। इसी तरह एनडीए की ओर से भी इमामगंज सीट पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी बहू को टिकट दिया है तो तरारी सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक सुनील पांडेय के बेटे को उम्मीदवार बनाया है। इनके मुकाबले प्रशांत किशोर चुनाव क्षेत्र में लोगों से वोटिंग करा कर साफ सुथरी छवि के उम्मीदवार उतार रहे हैं। उन्होंने बेलांगज में बाहुबलियों की लड़ाई में गणित के प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया।

Exit mobile version