Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

परिवारवाद से लड़ने की भाजपा हिप्पोक्रेसी

भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति करने का अपना एक फॉर्मूला तय किया। अपने नीति और सिद्धांत तय किए हैं। अपने लिए और दूसरों के लिए संहिता बनाई है। इसके मुताबिक दूसरों के लिए जो चीजें वर्जित हैं वह भाजपा के लिए अपिरहार्य और पवित्र हैं। भाजपा के नीति सिद्धांत के मुताबिक जो कहना है उसका बिल्कुल उलटा करना है। यानी बातें सारी बड़ी और आदर्शवादी करनी हैं, उसमें बुद्ध और महात्मा गांधी से नीचे का स्टैंड नहीं लेना है लेकिन वास्तविक राजनीति में मैकियावेली के हिसाब से ही काम करना है। कहने का मतलब है कि अच्छा अच्छा कहना है और बुरा करना है। राजनीतिक भाषण और कामकाज में उच्च स्तर की हिप्पोक्रेसी अपनाए रखनी है।

जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार, 20 अक्टूबर को अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी में थे तो उन्होंने अपनी इस बात को दोहराया कि परिवारवाद देश और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। इसे खत्म करने के लिए उन्होंने गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को राजनीति में लाने का संकल्प दोहराया। जिस समय प्रधानमंत्री यह भाषण देकर अपने विशेष विमान से उड़े उसी समय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की सूची जारी हुई। 99 लोगों की सूची में सिर्फ 10 लोग नए हैं। हालांकि ये लोग भी गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले नहीं हैं। लेकिन सिर्फ 10 ही लोग हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ेंगे। बाकी सब पुराने नेता और राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले ही हैं।

भाजपा ने जिन महिलाओं को टिकट दी है, उनमें से एक पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की बेटी है और दूसरी जेल में बंद भाजपा विधायक गणपत गायकवाड की पत्नी है। मुंबई के पार्टी अध्यक्ष आशीष शेलार और उनके सगे भाई को भी टिकट दिया गया है। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा सांसद नारायण राणे के बेटे को भी भाजपा ने टिकट दी है। एक पूर्व सांसद हरिभाऊ जवाले के बेटे को भी उम्मीदवार बनाया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे के बेटे को टिकट दिया गया है। एक लाख युवाओं को राजनीति में लाने का संकल्प करने वाली पार्टी सिर्फ तीन विधायकों के टिकट काट पाई। उसने 89 विधायक रिपीट कर दिए। कुल मिला कर नेताओं के बेटे, बेटियां, पोते, पोतियां, भाई या पत्नी या नजदीकी सहयोगी ही चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें भाजपा कतई परिवारवाद नहीं देखती है।

इससे एक दिन पहले भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। उसमें तो पार्टी ने और भी कमाल किया। झारखंड के इतिहास में जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों उनके परिवार का सदस्य इस बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। सोचें, सात मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को भाजपा ने टिकट दी है। मुख्यमंत्रियों के अलावा भी दूसरे नेताओं के बेटे, बेटियों या रिश्तेदारों को भाजपा ने टिकट दिए हैं। लोकसभा में भी ऐसे ही टिकट दिए गए थे। इससे दो चार दिन पहले ही हरियाणा में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया। क्या यही गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने का फॉर्मूला है?

Exit mobile version