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ओडिशा में जोखिम नहीं लेना चाहती भाजपा

भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल ओडिशा में लोकसभा के चुनाव बड़ी जीत हासिल की और साथ ही विधानसभा का चुनाव भी जीत लिया। यह जीत भाजपा के अपने नेताओं के लिए भी हैरान करने वाली थी। उनको अंदाजा नहीं था कि नवीन पटनायक को हरा कर भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बना लेगी। लेकिन ऐसा हो गया। अब भाजपा राज्य की राजनीति में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। उसको पता है कि नवीन पटनायक को जरा सा भी मौका मिला तो उनकी पार्टी वापसी करेगी और भाजपा के लिए समस्या होगी। तभी भाजपा ने उनके राज्यसभा सांसदों को तोड़ कर पार्टी को कमजोर करना शुरू किया है और राज्य में हो रहे एक विधानसभा सीट के उपचुनाव में हर हाल में जीत हासिल करने की बिसात बिछाई है।

ओडिशा में नुआपाड़ा सीट पर उपचुनाव हो रहा है क्योंकि वहां के बीजू जनता दल के विधायक राजेंद्र ढोलकिया का निधन हो गया था। माना जा रहा था कि चार बार इस सीट से विधायक रहे राजेंद्र ढोलकिया के बेटे जय ढोलकिया को बीजू जनता दल का उम्मीदवार बनाया जाएगा। आमतौर पर ऐसा होता है और ऐसे उम्मीदवारों को सहानुभूति वोट से जीत  भी मिल जाती है। लेकिन भाजपा ने बीजद के दिवंगत विधायक के बेटे जय ढोलकिया को ही अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है और कहा जा रहा है कि उनको उम्मीदवार बनाया जाएगा। असल में पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार भी बीजद और कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा को मुश्किल हो रही थी। तभी उसने बीजद के संभावित उम्मीदवार को ही तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया।

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