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भाजपा को महाराष्ट्र और बिहार की चिंता

विपक्षी नेताओं

चुनाव से पांच महीने पहले हुए सी वोटर के सर्वेक्षण ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। भाजपा के नेता पहले से चार राज्यों के मुश्किल मान रहे थे। इन चार में से दो राज्यों पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में तो सी वोटर ने चिंता दूर कर दी है। इन दोनों राज्यों में भाजपा को ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं दिख रही है। कर्नाटक में तो बड़े बहुमत की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को चार से छह और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 52 फीसदी वोट के साथ 22 से 24 सीट मिलने का अनुमान है। अगर एनडीए को 23 सीटें मिल जाती हैं तो उसे सिर्फ चार सीट का नुकसान होगा। अभी वह 27 सीट के साथ चुनाव में उतरेगी, जिसमें उसकी अपनी 25 सीटें हैं। एक सीट जेडीएस की है और निर्दलीय सुमलता अंबरीश की है, जो अब भाजपा के साथ आ गई हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल में सी वोटर ने भाजपा को 16 से 18 सीट मिलने का अनुमान लगाया है। अगर यह अनुमान सही होता है तो भाजपा को सिर्फ एक सीट का नुकसान होगा।

लेकिन इसी सर्वेक्षण ने महाराष्ट्र और बिहार में उसकी चिंता बढ़ा दी है। हालांकि दोनों राज्यों में भाजपा की अपनी सीटों में बहुत बड़ी कमी नहीं आएगी लेकिन एनडीए की सीटें बहुत कम हो जाएंगी। इसमें अनुमान लगाया गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 19 से 21 सीट मिलेगी। पिछले चुनाव में एनडीए को राज्य की 48 में से 41 सीटें मिली थीं। अकेले भाजपा को 23 सीटें मिली थीं। इस बार पूरे गठबंधन को इससे कम सीट मिलने का अनुमान है। दूसरी ओर महज सात सीट जीतने वाले विपक्षी गठबंधन को 26 से 28 सीट मिलने का अनुमान है। इसी तरह बिहार में पिछली बार एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार 16 से 18 सीट मिलने का अनुमान है यानी करीब 22 सीट का नुकसान होगा।

तभी महाराष्ट्र और बिहार को लेकर भाजपा की चिंता बढ़ी है। भाजपा के नेता मान रहे हैं कि इन दोनों राज्यों में गठबंधन ठीक से काम नहीं कर रहा है या कमजोर है। एकनाथ शिंदे और अजित पवार को साथ लेने के बावजूद शिव सेना और एनसीपी का वोट एनडीए के साथ नहीं आ रहा है। इसी तरह बिहार में राजद और जदयू के साथ आने से विपक्षी गठबंधन बहुत मजबूत हो गया है। तभी कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा अकेल चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। वह चाहती है कि शिंदे और अजित अलग चुनाव लड़ें ताकि त्रिकोणीय मुकाबला बने और उसमें भाजपा को फायदा हो सकता है। दूसरी ओर बिहार में नीतीश कुमार को राजद से अलग करके भाजपा के साथ लाने की योजना पर काम चल रहा है।

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