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स्लीपर सेल पहचानने की राहुल की चुनौती

कांग्रेस

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दो महीने पहले गुजरात में कांग्रेस के अधिवेशन में कहा था कि प्रदेश कांग्रेस में कई नेता ऐसे हैं, जो भाजपा के लिए काम करते हैं। राहुल ने ऐसे 30-40 लोगों को पहचान कर उनको पार्टी से निकालने की बात कही थी। हालांकि अभी तक किसी को पहचाना नहीं गया है और न किसी को पार्टी से निकाला गया है।

लेकिन ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी की चुनौती बढ़ रही है। वे सिर्फ गुजरात की बात कर रहे थे लेकिन यहां चारों तरफ ऐसे लोगों की भरमार दिख रही है, जो कांग्रेस में हैं लेकिन उससे ज्यादा निष्ठा सरकार और भाजपा के लिए दिखा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऐसे लोगों की पहचान भी तब तक उजागर नहीं हो पा रही है, जब तक वे खुद आगे बढ़ कर अपने को एक्सपोज नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस ने तो कई लोगों को बहुत एडवांस स्टेज में पहचाना है।

पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ऐसे ही लोगों में से एक हैं। हालांकि अब भी कांग्रेस के कई नेता उम्मीद कर रहे हैं कि वे स्लीपर सेल नहीं हैं और विदेश से लौटने के बाद फिर कांग्रेस की लाइन पर बात करने लगेंगे। लेकिन सवाल है कि विदेश में जाकर भी सरकार की लाइन पर इस तरह बात करने की क्या जरुरत थी? भाजपा के नेता भी जो बातें नहीं कर रहे हैं वह बात सलमान खुर्शीद कर रहे हैं! वे विपक्ष के नेता और विदेश मामलों के अपने अनुभव की वजह से विदेशी डेलिगेशन में जाने के लिए चुने गए थे लेकिन वहां जाकर वे सरकार के प्रति स्वामीभक्ति दिखाने लगे।

राहुल की चुनौती कांग्रेस में भीतरघात

सीपीएम के सांसद जॉन ब्रिटास ने उनको टोका। एक कार्य़क्रम में केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए सलमान खुर्शीद ने उसको ध्यान दिया और कहा कि सरकार ने बड़ा दिल और सद्भाव दिखाते हुए विपक्षी पार्टियों को विदेश जाने वाले डेलिगेशन में भेजा। इस पर उनको टोकते हुए ब्रिटास ने कहा कि विपक्ष ने भी बड़ा दिल दिखाया और सद्भाव दिखाते हुए विदेशी डेलिगेशन में शामिल होने का फैसला किया।

इससे पहले सलमान खुर्शीद ने जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की जम कर तारीफ की। यह सही है कि कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से इस फैसले का विरोध नहीं किया है और संसद में भी सरकार के फैसले के साथ ही रही। लेकिन कांग्रेस के नेता सार्वजनिक रूप से इसकी तारीफ भी नहीं करते हैं। कांग्रेस को सलमान खुर्शीद से यह उम्मीद नहीं थी कि वे विदेश जाकर अनुच्छेद 370 का जिक्र करेंगे और उसे हटाने के लिए केंद्र सरकार को ध्यान देंगे।

उन्होंने केंद्र की तारीफ की, उसे धन्यवाद दिया और इतना ही नहीं इसकी वापस बहाली की बात करने वालों की जम कर आलोचना की। इस तरह खुर्शीद ने अपने को भाजपा नेताओं से दो कदम आगे बढ़ कर साबित किया। उनसे पहले शशि थरूर अपने को साबित कर चुके हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा के प्रति अपनी स्वामीभक्ति दिखाई और यहां तक कह दिया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के समय पहली बार भारतीय सेना ने सीमा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक किया। इन दोनों के मुकाबले पूरे विदेश दौरे में आनंद शर्मा और मनीष तिवारी का आचरण वास्तव में विपक्षी सांसद वाला रहा, जबकि इन दोनों को कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाने वाले जी 23 का सदस्य बता कर इनकी निष्ठा संदिग्ध बताई जाती थी।

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Pic Credit: ANI

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