राजधानी दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव का संदेश बिहार तक जाएगा। राजीव प्रताप रूड़ी के खिलाफ जब भाजपा के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को उतारा गया तभी बिहार में ठाकुरों की नाराजगी बढ़ी। ध्यान रहे बिहार के ठाकुर पहले से अनदेखी किए जाने से नाराज हैं और ऊपर से रूडी को एक छोटे से चुनाव में हराने के लिए भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व लग गया तो नाराजगी और बढ़ी। ध्यान रहे बिहार में एनडीए के 31 सांसद जीते हैं लेकिन किसी राजपूत को केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया है। बिहार और झारखंड दोनों मिला कर कोई ठाकुर केंद्रीय मंत्री नहीं है। इस वजह से दोनों राज्यों में राजपूतों में नाराजगी है। झारखंड में तो पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में सरयू राय सहित आधा दर्जन नेताओं को भाजपा और जदयू से उम्मीदवार बना कर नाराजगी दूर करने का प्रयास किया गया लेकिन बिहार में नाराजगी कायम है।
रूड़ी कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव जीत गए लेकिन अब इस सरकार में वे शायद ही केंद्र में मंत्री बन पाएं। पिछले कुछ दिनों से मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा थी लेकिन वह भी थम गई है। कहा जा रहा था कि बिहार से किसी ठाकुर नेता को मंत्री बनाया जाएगा। फिर से राधामोहन सिंह के नाम की चर्चा शुरू हो गई थी तो साथ ही रूड़ी और जनार्दन सिग्रीवाल की भी चर्चा हो रही थी। ऐसा लग रहा है कि रूड़ी का रास्ता बंद हो गया है। परंतु रूडी बिहार के ठाकुरों में आईकॉन बन कर उभरे हैं। हालांकि वे भाजपा के सांसद हैं और भाजपा में ही बने रहेंगे लेकिन बिहार के ठाकुर एनडीए छोड़ कर महागठबंधन की ओर रूझान दिखा रहे हैं। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कुछ बड़ा ऑफर कर सकता है। उप राष्ट्रपति के लिए नरेंद्र सिंह तोमर के नाम की चर्चा अचानक तेज हो गई है। जो हो यह तय है कि बिहार के चुनाव में ठाकुर मतदाताओं को जोड़ने के लिए भाजपा को बड़ी मेहनत करनी होगी। वहां पहले से समीकऱण बिगड़ा है और राजपूत बनाम कुशवाहा के झगड़े में एक तिहाई बिहार में एनडीए पिछड़ रहा है।