समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नाराज हैं। उन्होंने कांग्रेस के बारे में बहुत उलटा-सीधा बोला है। लेकिन कांग्रेस के नेता अभी उनको मनाने नहीं जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस और सपा के नेता एक दूसरे के शीर्ष नेतृत्व पर जो निजी हमला कर रहे थे उसे रुकवा दिया गया है। इसके लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अखिलेश यादव से बात हुई थी। लेकिन वह निजी हमलों के बारे में थी। राजनीतिक मुद्दों पर अभी उनसे कोई बात नहीं हुई है। वे मध्य प्रदेश में 30 से ज्यादा सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस को चालू पार्टी बता कर उसे वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं। इस बीच उनकी पार्टी की ओर से मीडिया में यह खबर दी गई कि अगले लोकसभा चुनाव में सपा उत्तर प्रदेश की 80 में से 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और सहयोगियों के लिए 15 सीट छोड़ेगी।
बताया जा रहा है कि इससे कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल दोनों में नाराजगी है। ध्यान रहे जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने 12 सीटों पर दावेदारी की है तो कांग्रेस की ओर से 20 सीटों की मांग की गई थी। हालांकि दोनों पार्टियों की स्थिति इतनी सीटों पर लड़ने की नहीं है पर यही बात सपा के लिए भी सही है। उसकी स्थिति भी 65 सीटों पर लड़ने की नहीं है। तभी कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद अखिलेश यादव से बात करेंगे। मायावती की पार्टी को भी गठबंधन में लाने की बात होगी। लोकसभा की अपनी 10 सीटों बचाने का उनके पास एक ही रास्ता है कि वे सपा के साथ प्रदेश स्तर पर गठबंधन करें या विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ जुड़ें। अकेले कांग्रेस के साथ तालमेल का भी विकल्प उनके पास है। बहरहाल, चुनाव बाद खड़गे की जिम्मेदारी होगी अखिलेश को मनाने की।