India alliance

  • विपक्ष नहीं छोड़ेगा एसआईआर का मुद्दा

    चुनाव आयोग ने इस साल के अंत में पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का फैसला किया है। आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें इस पर विस्तार से चर्चा हुई है। इस बैठक से ठीक पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी को निर्देश दिया कि मतदाताओं के सत्यापन के लिए निर्धारित 11 दस्तावेजों की सूची में 12वें दस्तावेज के तौर पर आधार को शामिल किया जाए। बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने की अधिसूचना 24 जून को जारी...

  • यह एकजुटता कैसे आगे चलेगी?

    मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर विपक्षी एकजुटता दिख रही है।  संसद में सभी पार्टियों ने मिल कर इस मामले में बहस की मांग की और चर्चा नहीं होने पर  संसद की कार्यवाही रोकी। सत्र के बाद भी कई विपक्षी पार्टियों ने इस मसले पर कांग्रेस के साथ एकजुटता दिखाई है और बिहार में चल रही राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में उनके नेता शामिल हुए। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने इससे दूरी बनाई। उनकी पार्टी का कोई नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ और यह भी तय नहीं है कि एक सितंबर को...

  • घटक दल ‘इंडिया’ नाम नहीं चाहते

    यह स्थिति आनी ही थी क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने ‘इंडिया’ नाम का चयन आम सहमति से नहीं किया था। 2023 में जब नीतीश कुमार की पहल पर भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने की कवायद शुरू हुई और पटना से लेकर बेंगलुरू व मुंबई तक बैठकें हुईं तो कई नाम प्रस्तावित  किए गए, जिसमें एक नाम ‘इंडिया’ था। उस समय नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक गठबंधन के लिए ठीक नहीं है। उनकी बात सही साबित हुई। इसे लेकर आज तक विवाद चल रहा है। कई मीडिया समूह और भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियां इंडी अलायंस...

  • विपक्षी गठबंधन का विरोधाभास

    विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अस्तित्व को लेकर पहले से सवाल उठ रहे थे। अब इसका बिखराव भी दिखने लगा है। आम आदमी पार्टी ने गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया है। और उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने लेफ्ट को लेकर अपना विरोधाभास जाहिर कर दिया है। खुद राहुल गांधी ने सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम से वैचारिक और राजनीतिक लडाई की बात कही है। इतना ही नहीं उन्होंने सीपीएम की तुलना आरएसएस से कर दी है। राहुल ने कहा है कि वे आरएसएस और सीपीएम से वैचारिक रूप से लड़ रहे हैं। इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच...

  • संसद में ‘इंडिया’ गठबंधन जवाब मांगेगा

    नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों के प्रमुख नेताओं ने शनिवार शाम ऑनलाइन बैठक की, जिसमें संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की साझा रणनीति और देश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई। बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और कुछ अन्य नेता शामिल रहे। इस बैठक में करीब 20 दलों ने भाग लिया। पहले यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास...

  • केजरीवाल ‘इंडिया’ गठबंधन से बाहर

    अहमदाबाद। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया है। गुजरात के तीन दिन के दौरे पर पहुंचे केजरीवाल ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बना था और अब उनकी पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अब हमारा किसी से गठबंधन नहीं है’। इसके साथ ही उन्होंने यह ऐलान भी किया कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ेगी। गौरतलब है कि केजरीवाल ने गुजरात जोड़ो अभियान शुरू किया है और पार्टी नए सदस्य बना...

  • केजरीवाल और ममता कांग्रेस को हरवाएंगे

    अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अब एक तरह से विपक्षी एलायंस से बाहर है। कांग्रेस से तो केजरीवाल लड़ ही रहे हैं लेकिन पहले ‘इंडिया’ ब्लॉक के अंदर उनको कुछ प्रादेशिक पार्टियों का जो समर्थन मिलता था वह भी बंद हो गया है। कुछ समय पहले तक ‘इंडिया’ ब्लॉक के भीतर आम आदमी पार्टी को ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी का समर्थन मिलता था। विपक्षी गठबंधन के अंदर एक गठबंधन था, जो दबाव समूह की तरह काम करता था और जिसका मकसद कांग्रेस को कमजोर करना था। लेकिन अब न तो ‘इंडिया’ ब्लॉक राजनीतिक रूप से सक्रिय है और...

  • विपक्ष को चाहिए एक समन्वय समिति

    विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ को एक समन्वय समिति की जरुरत है ताकि वह संसदीय रणनीति बनाने के अलावा राजनीतिक रणनीति भी बेहतर तालमेल के साथ बना सके। लोकसभा चुनाव के बाद एक साल में विपक्षी गठबंधन संसद में तो कामचलाऊ तालमेल बना लेता है क्योंकि वहां मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं और कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। इसलिए उनके बड़े कद की वजह से संसद सत्र के दौरान विपक्षी पार्टियां उनके चैम्बर में जमा  हो कर फ्लोर कोऑर्डिनेशन की मीटिंग कर लेती हैं। हालांकि उसमें भी कई बार ऐसा हुआ कि तृममूल कांग्रेस ने अलग लाइन...

  • अखिलेश ने कहा कि गठबंधन कायम रहेगा

    समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी गठबंधन की राजनीति में दो कदम आगे और एक कदम पीछे की राजनीति कर रहे हैं। उनकी पार्टी गठबंधन के कई एजेंडे से असहमति जताती है। संसद में कांग्रेस से दूरी भी बना लेते हैं। राज्यों में चुनाव लड़ने पहुंच जाते हैं और दूसरी ओर गठबंधन में बने रहने का दावा भी करते हैं। अखिलेश का कांग्रेस से गठबंधन, 2027 चुनाव की योजना अभी तो उन्होंने ओडिशा में कांग्रेस के ही नेता को तोड़ कर अपनी पार्टी का आधार बनाने का दांव चल दिया है, जिससे कांग्रेस बहुत नाराज है। पिछले दिनों...

  • कांग्रेस अब गठबंधन में ही लड़ेगी?

    कांग्रेस पार्टी राज्यों में सहयोगी पार्टियों के साथ ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। लोकसभा में ‘इंडिया’ ब्लॉक का जो प्रयोग था, भले वैसा व्यापक प्रयोग राज्यों में नहीं हो पाए लेकिन वैसा भी नहीं होगा, जैसा हरियाणा और दिल्ली में हुआ। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की आपसी लड़ाई का फायदा भाजपा को हुआ। हालांकि इस निष्कर्ष का मकसद भाजपा की अपनी तैयारियों, रणनीतियों और उसके नेताओं की मेहनत को कमतर बताना नहीं है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्यों का चुनाव बहुत दमदारी से लड़ा और दूसरी ओर लोकसभा में अपेक्षाकृत अच्छे प्रदर्शन...

  • सबको ‘गठबंधन’ की जरुरत नहीं लगती!

    india alliance  : पुरानी कहावत है कि अपनी बुद्धि सबको अधिक लगती है। यह कहावत हर आम आदमी के लिए सही है लेकिन नेताओं के लिए कुछ ज्यादा ही सही है। सारे नेता अपने को सबसे बुद्धिमान और यहां तक कि सर्वज्ञ मानते हैं। अगर वह सत्ता में है तब तो वह समझता है कि उसकी बुद्धि के आगे सब फेल हैं। अपनी इसी ‘बुद्धिमता’ और ‘सर्वज्ञता’ में आमतौर पर नेता मुंह के बल गिरते हैं। जैसे दिल्ली में अरविंद केजरीवाल गिरे हैं। उनको भी चुनाव से पहले लग रहा था कि वे सब जानते हैं और दिल्ली में चुनाव...

  • राज्यों में भी ‘इंडिया’ ब्लॉक की जरुरत

    यह कहने वाले नेता अब दिखाई नहीं दे रहे हैं कि ‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था और राज्यों के चुनाव में इसकी जरुरत नहीं है। दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद ऐसा कहने वाले सारे नेता अपनी खोल में दुबक गए हैं। अकेले संजय राउत हैं, जो अब भी बयान दे रहे हैं लेकिन उनके बयानों का कोई मतलब नहीं रह गया है। वे दिल्ली में भाजपा की जीत को महाराष्ट्र मॉडल का दोहराव बता रहे हैं। लेकिन उनका ऐसा कहना बेहद फूहड़ और दयनीय इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि हारने वाले अरविंद केजरीवाल...

  • नौ दिन में ढाई कोस!

    rahul gandhi :  कांग्रेस में गांधी परिवार के बाहर नेतृत्व देखने की परंपरा नहीं है, इसलिए वहां राहुल गांधी की सर्वोच्च हैसियत कायम रहेगी। लेकिन इंडिया गठबंधन में उनकी राजनीतिक पूंजी तेजी से क्षीण हुई है। वहां उन्हें नेता मानने की धारणा और कमजोर पड़ेगी। नौ दिन चले ढाई कोस- यह आम कहावत है। फिलहाल, यह दिल्ली में कांग्रेस पर लागू होती दिखी है। 2015 के विधानसभा चुनाव में लगभग नौ प्रतिशत वोट हासिल करने के बाद 2020 में उसका हिस्सा तकरीबन सवा चार प्रतिशत वोटों तक गिर गया। (rahul gandhi) अब पांच साल बाद पार्टी उसे दो फीसदी और...

  • अपना-अपना मैदान है!

    india alliance: कांग्रेस ने सबकी पार्टी होने की अपनी पहचान गंवाते हुए जातीय राजनीति की तरफ कदम बढ़ाया। मगर उस वह मैदान खाली नहीं है। अब कांग्रेस ने जल्द अपनी दिशा नहीं सुधारी, तो उसकी हालत ना घर के ना घाटे के वाली हो सकती है। जिस समय इंडिया गठबंधन का अस्तित्व सवालों के घेरे में है और इसमें शामिल रहे दलों के बीच कांग्रेस अलग-थलग सी पड़ गई है, राहुल गांधी का लोकसभा में गठबंधन की तरफ बोलने का दांव उलटा पड़ा दिखता है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने जिस तरह अपने भाषण में कांग्रेस को निशाने...

  • दिल्ली के चुनाव में ‘इंडी’ बेमानी

    केजरीवाल की राजनीति कामकाज के बजाय विरोधियों से टकराव पर आधारित है। दूसरा- इंडी गठबंधन बेमानी है, क्योंकि यह केवल प्रधानमंत्री मोदी को कैसे भी सत्ता से हटाने पर टिका है। उसके पास कोई वैकल्पिक नेता, राजनीतिक स्थिरता और विकास-सम्मत जनकल्याणकारी योजना का खाका नहीं है। विपक्ष मोदी विरोध के कारण इकट्ठा तो है, परंतु सकारात्मक कार्यक्रम और प्रेरणा के आभाव में एक नहीं है। अब दिल्ली में मतदाताओं के मन में क्या है, इसका उत्तर 8 फरवरी को मतगणना के दिन मिलेगा। आई.एन.डी.आई. (इंडी) गठबंधन तले इकट्ठा हुआ विपक्ष, एक नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में...

  • विपक्षी गठबंधन में सबके सुर बदल गए

    यह कमाल है कि कांग्रेस को पूरी तरह से अलग थलग करने का प्रयास कर रहे विपक्षी गठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं। जो नेता पहले कांग्रेस से नेतृत्व छीन कर ममता बनर्जी को देने की बात कर रहे थे या जिनको लग रहा था कि विपक्षी गठबंधन इंडिया का अब अस्तित्व नहीं बचा है उनमें से कई नेता अब बैकफुट पर हैं और सफाई दे रहे हैं। यह क्या रणनीति है? क्या विपक्षी नेताओं की राय कांग्रेस को लेकर रातों रात बदल गई या कोई जमीनी फीडबैक ऐसी मिली है, जिसकी वजह से पार्टियों को स्टैंड बदलना...

  • विपक्षी गठबंधन में बढ़ी तकरार

    मुंबई। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के नेतृत्व से शुरू हुआ विवाद अब इस गठबंधन के बिखरने तक पहुंच गया है। इसे खत्म कर देने की मांग करने और इसके कमजोर होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने के बाद उद्धव ठाकरे की शिव सेना ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले लड़ने का ऐलान किया है। उद्धव की पार्टी के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी मुंबई और नागपुर में महानगरपालिका के चुनाव अकेले लड़ेगी। इतना ही नहीं उन्होंने भाजपा के साथ फिर से तालमेल की संभावना से भी इनकार नहीं किया...

  • समरभूमि और मुमुक्षु भवन के दोराहे पर

    Opposition parties: बारात के जनवासे में साम्यवाद-समाजवाद की पुरवाई खोजने का बुद्धूपन जिन्हें करना है, करते रहें। फिर जो अब्दुल्ला अपने आप ही बारात में शामिल हो गए हों और बिना किसी के कहे कत्थकली के आगाज़ को तांडव के अंजाम तक पहुंचाने में ख़ुद-ब-ख़ुद जान दिए जा रहे हों, दूल्हा-दुल्हन उन्हें क्यों कर अपने सिर पर ढोते फिरें? अब्दुल्ला जानें, उन की दीवानगी जाने और उन का काम जाने। अब्दुल्लाओं को अगर यह नहीं मालूम कि जिन शादियों को वे अपने घर का उत्सव मान रहे हैं, वह बेगानों की है तो कोई क्या करे? also read: ज्यादा से ज्यादा...

  • राउत ने भी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर सवाल उठाया

    मुंबई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बाद अब उद्धव ठाकरे की शिव सेना के नेता संजय राउत ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर सवाल उठाया है। उन्होंने उमर की बात का समर्थन किया और साथ ही यह भी कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन आज इस स्थिति में है तो उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस है। उन्होंन दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन का ऐलान भी किया। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को कहा, 'मैं उमर अब्दुल्ला से सहमत हूं। यदि ‘इंडिया’ ब्लॉक के सहयोगियों को लग रहा है कि अब...

  • क्षत्रपों को ही चुनाव लड़ना है

    अगले कुछ दिनों तक अनेक प्रादेशिक क्षत्रपों के प्रदेश में चुनाव होना है। अभी दिल्ली में चुनाव चल रहा है, जहां अरविंद केजरीवाल को अपना किला बचाना है। केजरीवाल के आगे बिहार के दो प्रादेशिक क्षत्रपों लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की परीक्षा है क्योंकि बिहार में विधानसभा का चुनाव है। बिहार चुनाव में भाजपा का जितना दांव पर लगा है उससे ज्यादा नीतीश और लालू का है और उतना ही चिराग पासवान का है। उसके बाद अगले साल यानी 2021 में तो कई बड़े प्रादेशिक क्षत्रपों के राज्य में चुनाव है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, तमिलनाडु में एमके...

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