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विपक्षी गठबंधन के सचिवालय का क्या हुआ?

रणनीतिक विरोधाभास

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का मामला मुंबई की बैठक के बाद पटरी से उतरा तो अभी तक पटरी पर नहीं लौटा है। तीन महीने के बाद 19 दिसंबर को दिल्ली में बैठक भी हुई लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया। पहले की तीन बैठकों में कई चीजें तय की गई थीं, जिनमें यह भी तय हुआ था कि विपक्षी गठबंधन का एक सचिवालय होगा। दिल्ली में सचिवालय बनाने की बात हुई थी लेकिन अब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और विपक्ष ने कुछ भी तय नहीं किया है। ‘इंडिया’ के भीतर 13 सदस्यों की एक समन्वय समिति बनी थी। उसकी भी एक बैठक दिल्ली में शरद पवार के आवास पर हुई थी और उसके बाद कोई बैठक नहीं हुई। चूंकि सचिवालय नहीं बना था इसलिए पवार के घर पर बैठक हुई। अगर विपक्ष के नेता आधिकारिक रूप से ‘इंडिया’ का अध्यक्ष और संयोजक चुन लेते और सचिवालय बना लेते तो ज्यादा व्यवस्थित तरीके से उनकी बैठक हो सकती थी।

मुंबई की बैठक में जब समन्वय समिति बनी थी तब कई और कमेटियों का गठन किया गया था, जिसमें मीडिया समिति भी थी। कांग्रेस के जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत को उसकी  जिम्मेदार दी गई थी और दूसरे सहयोगी दलों के नेता भी उसमें शामिल थे। लेकिन मीडिया कमेटी की कोई बैठक हुई है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बीच कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी प्रचार समिति का गठन कर दिया है। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन इसके प्रमुख हैं और इसमें कांग्रेस के संचार विभाग के तीनों महत्वपूर्ण लोगों को शामिल किया गया है। अब सवाल है कि जब सभी पार्टियों को साझा चुनाव लड़ना है तो क्या एक साझा प्रचार समिति नहीं होनी चाहिए? लेकिन ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियों को साथ मिल कर प्रचार करने की जरुरत नहीं लग रही है। अगर ऐसा होता तो इंडिया की मीडिया कमेटी की बैठक होती या कांग्रेस साझा प्रचार समिति बनाने की पहल करती। बाद में अगर कोई ऐसी कमेटी बनती है तो उसके साथ कांग्रेस और दूसरी पार्टियों की मीडिया कमेटियों का तालमेल कैसे बनेगा यह भी देखने वाली बात होगी।

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