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भाजपा के बड़े नेता चुनाव लड़ेंगे

विपक्षी नेताओं

लोकसभा का चुनाव हो या किसी छोटे बड़े राज्य का चुनाव हो, भाजपा अपने बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी देती थी। केंद्रीय मंत्रियों में धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव चुनावों में प्रभारी होते थे। भाजपा राजनीतिक कामकाज में पार्टी के ऐसे पदाधिकारियों की भूमिका तय करती थी, जो लंबे समय से राष्ट्रीय संगठन में काम करते रहे हों। लेकिन इस बार सौदान सिंह को किसी राज्य का चुनाव प्रभारी नहीं बनाया गया है और न सुनील बंसल कहीं के प्रभारी बने हैं। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान को भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। हाल में महासचिव बनाए गए बंदी संजय कुमार और पहले से महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे अरुण सिंह को भी कोई नई जिम्मेदारी नहीं मिली है। इनकी बजाय भाजपा ने पार्टी के सचिवों को इस बार आगे किया है।

केंद्रीय मंत्रियों में भी भूपेंद्र यादव व धर्मेंद्र प्रधान के अलावा पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मांडविया, अनुराग ठाकुर आदि को चुनावी ड्यूटी से अलग रखा गया है, जबकि ये नेता पार्टी के राजनीतिक कामों में भी काफी सक्रिय रहते हैं। तभी ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार अपने सभी पुराने और बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए उतार सकती है। इसलिए उसने दूसरी कतार के, पार्टी के सचिवों और राज्यों के नेताओं को चुनाव प्रभारी बनाया है। कहा जा रहा है कि राज्यसभा सांसदों- भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, मनसुख मांडविया, अश्विनी वैष्णव आदि को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा। वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान जैसे पुराने नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है। बिहार के उप मुख्यमंत्री रहे और राज्यसभा से इस साल रिटायर हो रहे सुशील मोदी को भी पार्टी लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए कह सकती है।

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