यह कमाल का विरोधाभास है कि देश भर में विपक्षी पार्टियां मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध कर रही हैं लेकिन महाराष्ट्र में सबको एसआईआर चाहिए। ध्यान रहे चुनाव आयोग देश भर में चरणबद्ध तरीके से एसआईआर कराने की तैयारी कर रहा है। दो महीने के भीतर इसे लेकर दो बड़ी बैठक हुई है। दिल्ली में 22 और 23 अक्टूबर को देश भर के मुख्य चुनाव अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें एसआईआर की तैयारियों की समीक्षा की गई और अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां से एसआईआर शुरू करने का फैसला हुआ। अगले हफ्ते इसकी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अगले साल जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं उनमें से तीन बड़े राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकार है और तीनों राज्यों, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टियां एसआईआर का विरोध कर रही हैं। केरल में तो पक्ष और विपक्ष यानी एलडीएफ और यूडीएफ दोनों इसका विरोध कर रहे है और विधानसभा से आम सहमति से प्रस्ताव पास कराया गया है। तमिलनाडु में डीएमके और कांग्रेस इसका विरोध कर रहे हैं तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोला है।
परंतु महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है, जहां पक्ष और विपक्ष सब चाहते हैं कि मतदाता सूची की सफाई हो और इसके लिए सब मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए तैयार हैं। एक दिन उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की और उनसे कहा कि मतदाता सूची की सफाई के बगैर स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं होना चाहिए। ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट ने जल्दी से जल्दी चुनाव कराने को कहा है। सर्वोच्च अदालत की तय की गई समय सीमा से पहले एसआईआर संभव नहीं है। लेकिन ठाकरे बंधु चाहते हैं कि एसआईआर हो और उसके बाद ही चुनाव हो। कांग्रेस के नेता उद्धव और राज ठाकरे के तालमेल के खिलाफ हैं लेकिन मतदाता सूची की सफाई वे भी चाहते हैं। समूचे विपक्ष ने कहा है कि मतदाता सूची में फर्जी नाम हैं। ध्यान रहे कांग्रेस के राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव नतीजे को लेकर आयोग पर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने आखिरी दो घंटे में हुए मतदान के आंकड़े को चुनौती दी थी।
सो, कांग्रेस भी चाहती है कि मतदाता सूची की सफाई हो। इस बीच भाजपा के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी कहा है कि चुनाव आयोग एसआईआर करा कर मतदाता सूची की सफाई कराए। मुश्किल यह है कि चुनाव आयोग की दिल्ली में हुई दो दिन की बैठक में यह तय किया गया कि जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं वहां पहले चरण में एसआईआर का काम पूरा किया जाए लेकिन जिन राज्यों में स्थानीय निकाय के चुनाव हैं वहां एसआईआर को टाल दिया जाए। चुनाव आयोग का कहना है कि स्थानीय प्राधिकार के अधिकारी स्थानीय निकाय के चुनावों में व्यस्त हैं इसलिए वहां एसआईआर टाल दिया जाए। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने भी चुनाव आयोग से महाराष्ट्र में एसआईआर टालने को कहा है। सोचें, जहां विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि एसआईआर हो वहां चुनाव आयोग नहीं चाहता और जहां विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि एसआईआर नहीं हो वहां चुनाव आयोग को जल्दी से जल्दी इसे कराना है! बहरहाल, अब देखना है कि महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बिना एसआईआर निर्धारित समय में चुनाव होता है या सभी पार्टियां अदालत जाकर चुनाव टलवाती हैं।
