जब आपके पास किसी समस्या का असल में कोई समाधान नहीं होता है तब आप इस तरह के उपाय करते हैं। धरती का तापमान बढ़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है या देश में बिजली की खपत बढ़ रही है तो इसे रोकने के लिए भारत सरकार को यह समाधान सूझा है कि एसी का तापमान फिक्स करा दो। ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बड़े तामझाम के साथ इस समाधान का ऐलान किया है। सरकार ने तय किया है कि अब ऐसे एसी बनेंगे ही नहीं, जो 20 डिग्री से नीचे या 28 डिग्री से ऊपर चलाए जा सकें। यह नियम घरेलू एसी से लेकर गाड़ियों में और कार्यालयों में भी लागू होगा। सरकार कह रही है कि एक डिग्री तापमान के अंतर से छह फीसदी बिजली की बचत होती है।
अगर ऐसा है भी तो सरकार को इसका प्रचार करना चाहिए। लोगों को जागरूक करना चाहिए कि वे 24 या 25 डिग्री से नीचे तापमान रख कर एसी नहीं चलाएं। इसकी बजाय सरकार लोगों को मजबूर कर रही है कि उनका एसी 20 डिग्री से नीचे नहीं चले। इसका मजाक उड़ाते हुए नई पीढ़ी के एक शानदार फिल्मकार और राइटर वरूण ग्रोवर ने लिखा है बाथरूम के शॉवर में औसतन एक सौ छेद होते हैं, अगर उनमे से एक तिहाई बंद कर दिया जाए तो पानी की बचत हो सकती है। यह कुछ कुछ इसी किस्म का समाधान है। सरकार हर चीज जोर जबरदस्ती कराना चाहती है। बहुत सारे कार्यालय होंगे, खासकर आईटी सेक्टर के, जहां इससे कम तापमान की जरुरत होगी तो वहां के लिए क्या किया जाएगा? क्या इसके आगे सरकार ऐसे फ्रीज बनाने का आदेश देगी, जिसको पांच डिग्री से कम तापमान पर नहीं चलाया जा सके? इस तरह के हास्यास्पद उपाय करने की बजाय सरकार को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के ठोस उपायों पर ध्यान देना चाहिए।