फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर करीब एक दर्जन बार संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा में बैठ कर आईएएस बन गईं पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट से न सिर्फ गिरफ्तारी से राहत मिली है, बल्कि अदालत ने अग्रिम अंतरिम जमानत देते हुए, जो टिप्पणी की उससे ऐसा लग रहा है कि आगे शायद ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो।
सर्वोच्च अदालत ने सवालिया लहजे में कहा कि पूजा खेडकर ने क्या कोई हत्या की है या कोई ड्रग कार्टेल चला रही है। अदालत ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि पहले ही उनकी नौकरी चली गई है, अब ज्यादा परेशान करने की जरुरत नहीं है।
पूजा खेडकर को फिर से राहत मिली
सोचें, जिस महिला ने देश की सर्वोच्च सेवा में नियुक्ति की परीक्षा आयोजित करने वाले संघ लोक सेवा आयोग जैसी संस्था के लूप होल्स का फायदा उठा कर फर्जीवाड़ा किया। जिसके ऊपर कई बार नाम बदलने और फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर परीक्षा में शामिल होने के आरोप लगे हैं। जिस महिला ने यूपीएससी जैसी संस्था की शुचिता को खराब किया।
उसके फर्जीवाड़े की वजह से यूपीएससी की बदनामी हुई और अंत में यूपीएससी ने उसकी नियुक्ति रद्द की। जिस महिला ने ट्रेनी आईएएस के तौर पर लक्जरी गाड़ी पर लाल बत्ती लगा कर तमाशा खड़ा किया। उसको हर जगह से राहत मिलती जा रही है! जो नौकरी उसने फर्जीवाड़ा करके हासिल की थी वह नौकरी वापस ले लेना कोई सजा नहीं है। सजा तो फर्जीवाड़े की मिलनी चाहिए।
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