इसे नियति कहें या कुछ और? आज अमेरिका ने पूरे देश को ही मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बना दिया है। ध्यान रहे नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने धन शोधन निरोधक कानून यानी पीएमएलए को विपक्ष के खिलाफ सर्वाधिक प्रभावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया। केंद्र की सरकार ने लगभग समूचे विपक्ष को मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बना दिया। आज देश की कोई भी विपक्षी पार्टी नहीं बची है, जिसके किसी न किसी नेता के ऊपर पीएमएलए के तहत मुकदमा नहीं चल रहा है। अब तो ईडी ने पार्टियों को भी आरोपी बनाना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी और केरल में सीपीएम को आरोपी बना दिया गया है। कांग्रेस से लेकर कम्युनिस्ट तक सभी विपक्षी पार्टियां धन शोधन की आरोपी हो गईं। यह प्रक्रिया शुरू होने के 11 साल बाद अमेरिका ने भारत को ही मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बना दिया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने पहले तो रूस और यूक्रेन की जंग को ‘मोदी वॉर’ कहा। लेकिन असली अपमानजनक बात उन्होंने बाद में कही। नवारो ने एक लेख लिख विस्तार से समझाया कि कैसे भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए धन शोधन यानी मनी लॉन्ड्रिंग का काम कर रहा है। नवारो ने लिखा, ‘भारत की बड़ी तेल लॉबी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को क्रेमलिन के लिए एक विशाल रिफाइनिंग केंद्र और तेल धन शोधन केंद्र में बदल दिया है’। उन्होंने कहा कि भारतीय तेल कंपनियां सस्ते दाम पर रूसी तेल खरीदती हैं, उनको रिफाइन करती हैं और यूरोप, अफ्रीका व एशिया को निर्यात करती हैं। नवारो ने दावा किया, ‘भारत अब हर दिन 10 लाख बैरल से ज्यादा रिफाइन पेट्रोलियम निर्यात करता है, जो उसके द्वारा आयातित रूसी कच्चे तेल की मात्रा के आधे से भी ज़्यादा है। इससे होने वाली आय भारत के राजनीतिक रूप से जुड़े ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गजों को मिलती है और सीधे पुतिन के सैन्य कोष में जाती है’। इसका सीधा अर्थ है कि भारत के सत्ता प्रतिष्ठान के करीबी कारोबारियों को कमाई होती है और रूस के राष्ट्रपति के खाते में काला धन सफेद होकर पहुंचता है। सोचें, भारत सरकार पर क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप और रूस के काले धन को सफेद करने का आरोप अमेरिका ने भारत पर लगाया है।
