झारखंड की पिछले विधानसभा में करीब आधा दर्जन उपचुनाव हुए थे और लगभग हर चुनाव में भाजपा हारी थी। इस विधानसभा में एक साल पूरे होने से पहले ही एक उपचुनाव हो रहा है। घाटशिला विधानसभा सीट पर हेमंत सोरेन सरकार के मंत्री रहे रामदास सोरेन के निधन से उपचुनाव की नौबत आई है। एक तरफ हेमंत सरकार और महागठबंधन ने इस सीट पर पूरी ताकत लगाई है तो दूसरी ओर भाजपा ने भी इस सीट को प्रतिष्ठा की लड़ाई बनाया है। आगे की राजनीति का बहुत कुछ इस सीट के नतीजे पर दांव पर है। बाबूलाल मंराडी भाजपा के अध्यक्ष भी हैं और विधायक दल के नेता भी हैं। उनके लिए भी यह चुनाव अहम है।
इससे ज्यादा इस चुनाव की चर्चा इस बात को लेकर है कि जेएमएम से भाजपा में आए पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन फिर इस सीट पर लड़ रहे हैं। पिछले साल चुनाव में भाजपा ने चम्पई सोरेन और उनक बेटे बाबूलाल सोरेन दोनों को टिकट दिया है, जिसमें से चम्पई सोरेन जीत गए थे। अब फिर भाजपा ने उन्हीं पर दांव लगाया है तो दूसरी ओर जेएमएम ने रामदास सोरेन के बेटे को सोमेश सोरेन को टिकट दिया है। उनके लिए मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी दोनों प्रचार कर रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा की ओर से कम से कम चार पूर्व मुख्यमंत्री एक उपचुनाव में प्रचार कर रहे हैं।
