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जेएनयू चुनाव में लेफ्ट का झगड़ा

जेएनयू

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू में छात्र संघ का चुनाव शुक्रवार, 25 अप्रैल को होगा। यह चुनाव पिछले दिनों स्थगित कर दिया गया था और उम्मीदवारों की अंतिम सूची भी रोक दी गई थी। लेकिन फिर अचानक ऐलान हुआ कि चुनाव शुक्रवार को होगा। इसके लिए बुधवार की रात को अध्यक्षीय बहस भी हुई।

जेएनयू चुनाव में लेफ्ट की आपसी भिड़ंत

यह जेएनयू छात्र संघ की खासियत है कि वहां अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज पर अध्यक्ष के चुनाव से पहले उम्मीदवारों की बहस होती है। सभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर वे अपनी राय रखते हैं। दूसरी खास बात यह है कि छात्र संघ का चुनाव विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं कराता है, बल्कि छात्र ही कराते हैं।

बहरहाल, इस बार के चुनाव की खासबात यह है कि लेफ्ट पार्टियों के छात्र संगठन आपस में ही लड़ रहे हैं। यूनाइटेड लेफ्ट एलायंस के नाम पर सीपीआई माले के छात्र संगठन आईसा और डीएसएफ एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने नीतीश कुमार को उम्मीदवार बनाया है।  दूसरी ओर लेफ्ट अंबेडकर यूनिटी पैनल में सीपीआई के छात्र संगठन एआईएसएफ, सीपीएम के छात्र संगठन एसएफआई के साथ बाप्सा और पीएसए लड़ रहे हैं। इस पैनल ने चौधरी तैयबा अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया है।

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शिखा स्वराज को उम्मीदवार बनाया है। मुख्य मुकाबला इन तीन उम्मीदवारों के बीच होगा लेकिन इस बार अध्य़क्ष पद के लिए 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। कई जानकार मान रहे हैं कि यह लेफ्ट की रणनीति है कि उन्होंने आपस में ही लड़ाई बनवा ली है। दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि लेफ्ट पार्टियों के बीच एकता नहीं है, जिसका संकेत जेएनयू में मिल रहा है। बहरहाल, कारण जो हो लेकिन इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि लेफ्ट पार्टियों की आपसी लड़ाई में कहीं एबीवीपी को फायदा न हो जाए।

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Pic Credit: ANI

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