Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

विधानसभा वाली गलती ठीक करेगी कांग्रेस

कांग्रेस

यह लाख टके का सवाल है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो गलतियां की थीं उनसे उसने कुछ सबक लिया है या नहीं है और लिया है तो उन गलतियों को ठीक करेगी या नहीं? यह सवाल इसलिए है क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के आला नेताओं ने राज्यवार समीक्षा की थी।

हर बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी भी बैठे थे लेकिन यह पता नहीं चला कि निजी तौर पर नेताओं के ऊपर ठीकरा फोड़ने के अलावा राजनीतिक और रणनीतिक गलतियों पर चर्चा हुई या नहीं। ध्यान रहे मध्य प्रदेश में कमलनाथ, राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को हार के लिए जिम्मेदार ठहरा देना बहुत आसान है। लेकिन इन राज्यों में कई रणनीतिक गलतियां हुई थीं, जिन पर विचार किया जाना चाहिए था।

ऐसी एक गलती यह था कि छोटी पार्टियों के साथ कांग्रेस ने तालमेल नहीं किया। सभी सीटों पर या ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने की जिद में और जीतने के अति आत्मविश्वास में कांग्रेस ने तमाम प्रादेशिक पार्टियों की न सिर्फ अनदेखी की, बल्कि उनको नाराज भी किया।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की हार का अंतर ज्यादा रहा लेकिन अगर राजस्थान में कांग्रेस ने यह गलती नहीं की होती तो वह चुनाव जीत सकती थी। वहां वह सिर्फ दो फीसदी वोट से पीछे रही है। अगर उसने राज्य की तीन या चार छोटी पार्टियों के लिए कुछ सीटें छोड़ी होती और सीपीएम को भी साथ रखा होता तो नतीजा कुछ और हो सकता था।

बहरहाल, लोकसभा चुनाव में इस गलती को सुधारने का मौका है कांग्रेस के पास। कांग्रेस लोकसभ चुनाव की रणनीति बना रही है और उसकी नेशनल अलायंस कमेटी के नेता सीट बंटवारे पर बात कर रहे हैं। उस कमेटी में अशोक गहलोत भी हैं, जिनके राज्य में कांग्रेस ने भाजपा को बहुत नजदीकी टक्कर दी थी।

दूसरी ओर राजस्थान की प्रादेशिक पार्टियां अपना गठबंध बनाने की तैयारी कर रही हैं। पिछली बार बहुजन समाज पार्टी अलग लड़ी थी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ तालमेल किया था। भारतीय ट्राइबल पार्टी अपनी ताकत के दम पर चुनाव लड़ी थी। आम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी 85 सीटों पर लड़ी थी।

इनमें से बसपा को छोड़ कर बाकी पार्टियों के साथ कांग्रेस का तालमेल हो सकता था। बेनीवाल की पार्टी 78 सीटों पर लड़ी थे और उसको 2.39 फीसदी वोट मिला था, जबकि भारतीय ट्राइबल पाटी सिर्फ 17 सीटों पर लड़ी थी और उसे 2.3 फीसदी वोट मिला था।

यानी दोनों पार्टियों को मिल कर करीब पांच फीसदी वोट मिले थे। अगर कांग्रेस सिर्फ इन दो पार्टियों से तालमेल कर लेती तो राजस्थान का चुनाव नतीजा बदल जाता। ध्यान रहे पिछली बार भाजपा जैसी बड़ी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अपनी एक जीती हुई सीट बेनीवाल के लिए छोड़ी थी और गठबंधन किया था।

कांग्रेस ने राजस्थान के नतीजों से कोई सबक लिया है तो वह निश्चित रूप से बेनीवाल और छोटू भाई वसावा से बात करेगी और तालमेल करने का प्रयास करेगी। बताया जा रहा है कि वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी बांसवाड़ा सीट लड़ना चाहती है तो सीपीएम चुरू, बीकानेर और सीकर सीटों पर तैयारी कर रही है। बेनीवाल नागौर सीट से जीते थे।

Exit mobile version