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अजित पवार के हमले क्यों तेज हो रहे हैं?

असली एनसीपी के नेता अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार और उनके परिवार के ऊपर हमले तेज कर दिए हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजों के बीच जंग बहुत आम है। बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे भी अलग हुए थे और गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे भी अलग हुए थे। लेकिन राज ठाकरे या धनंजय मुंडे ने अपने चाचा के खिलाफ बयानबाजी नहीं की थी। उनसे उलट अजित पवार लगातार अपने चाचा शरद पवार को निशाना बना रहे हैं और अब उन्होंने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को भी निशाना बनाया है। अजित पवार ने सुप्रिया को निशाना बनाते हुए कहा कि संसद में भाषण देने या सेल्फी खिंचवाने से कोई नेता नहीं बनता है। उन्होंने अपने इसी भाषण में कहा कि अगर वे किसी बड़े नेता के बेटे होते तो मुख्यमंत्री बन गए होते। उनका इशारा शरद पवार की ओर था।

इससे पहले भी उन्होंने बारामती में लोगों से कहा था कि उन्हें किसी भावनात्मक अपील में नहीं बहना है। साथ ही सीनियर पवार को निशाना बनाते हुए कहा था कि पता नहीं उनका आखिरी चुनाव कौन सा होगा। उनके इस हमले के बीच चर्चा है कि वे अपनी पत्नि सुनेत्रा पवार को बारामती से चुनाव लड़ा सकते हैं। सवाल है कि क्या इसलिए वे अपने चाचा के परिवार पर हमले कर रहे हैं? उन्होंने शरद पवार के करीबी प्रफुल्ल पटेल को 2030 तक के लिए राज्यसभा भेज दिया है और उनकी खाली होने वाली सीट से संभवतः बाबा सिद्दीकी को चार साल के लिए राज्यसभा भेजेंगे। इससे ऐसा लग रहा है कि चाचा-भतीजे के बीच सुलह की संभावना कम हो गई है। कम से कम लोकसभा चुनाव में तो यह संभव नहीं दिख रहा है। तभी वे भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए शरद पवार को निशाना बना रहे हैं।

हालांकि दूसरी ओर इसे भी शरद पवार की डीप कॉन्सपीरेसी का पार्ट माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि अजित पवार अपनी निष्ठा प्रमाणित करके ज्यादा सीट लेना चाहते हैं और लोकसभा में जीतने के बाद विधानसभा से पहले अपने चाचा के साथ चले जाएंगे। क्योंकि उनको पता चल गया है कि जब अयोग्यता के मामले के बावजूद एकनाथ शिंदे को हटा कर अजित पवार को भाजपा ने मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो अक्टूबर के चुनाव के बाद तो बिल्कुल ही नहीं बनाएगी। उनको सीएम बनने के चांस चाचा के साथ रह कर ही हैं।

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