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चुनाव से पहले भाजपा का दबाव

भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में भले एनसीपी के नेता शरद पवार को बहुत महत्व दे रही है या एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना के साथ गठबंधन में है लेकिन अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा ने दोनों सहयोगी पार्टियों को राजनीतिक रूप से बैकफुट पर ला दिया है। लोकसभा चुनाव में तो भाजपा ने राज्य की 48 में से 45 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा अकेले 152 से ज्यादा सीटों पर जीतेगी। ध्यान रहे राज्य में बहुमत का आंकड़ा 145 सीट का है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष ने 152 से ज्यादा सीट का लक्ष्य रखा है।

जब से चंद्रशेखर बावनकुले ने 152 सीट से ज्यादा जीतने का लक्ष्य तय किया है तब से दोनों सहयोगी पार्टियों के नेता परेशान हैं। उनको समझ नहीं आ रहा है कि भाजपा को अकेले अगर 152 सीट जीतनी है तो वह कितनी सीटों पर लड़ेगी? राज्य में विधानसभा की 288 सीटें हैं और पिछले चुनाव में यानी 2019 में भाजपा 152 सीटों पर लड़ी थी। यानी पिछले चुनाव में एकीकृत शिव सेना के साथ गठबंधन में भाजपा 152 और शिव सेना 124 सीट पर लड़ी थी। 12 सीटें दूसरी पार्टियों के लिए छोड़ी गई थी। शिंदे पहले कह चुके हैं कि उनकी पार्टी 85 से 90 सीटों पर लड़ेगी और अजित पवार ने 90 सीट लड़ने का दावा किया है। यानी दोनों पार्टियों का दावा 180 सीट का है। दूसरी ओर भाजपा ने 152 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है तो इसका मतलब है कि वह दो सौ करीब सीटों पर लड़ने की सोच रही है। कहा जा रहा है कि वह दोनों सहयोगियों के लिए ज्यादा से ज्यादा एक सौ सीट छोड़ सकती है। इस बार भाजपा अकेले बहुमत तक पहुंचने के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। सो, टिकट बंटवारे में मुश्किल होने वाली है।

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