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मजबूरी का नाम छगन भुजबल

छगन भुजबल

छगन भुजबल को आखिरका मंत्री बनाना पड़ा। सरकार बनने के छह महीने बाद उनको सरकार में शामिल किया गया। अकेले उनके लिए मंगलवार की सुबह 10 बजे राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उनको मंत्री पद की शपथ दिलाई। पिछले साल नवंबर में सरकार बनने पर उनके मंत्री नहीं बनाया गया था, जिससे वे खासे नाराज हुए थे। उससे पहले उनको राज्यसभा में लाकर दिल्ली भेजे जाने की चर्चा थी लेकिन वह वादा भी पूरा नहीं हुआ।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के शहरी निकायों के चुनाव कराने का आदेश दिया। सर्वोच्च अदालत के आदेश से चार महीने में शहरी निकायों के चुनाव होने हैं। इसलिए छगन भुजबल राज्य की महायुति की मजबूरी बन गए।

छगन भुजबल को मिली मंत्री की जिम्मेदारी

ध्यान रहे छगन भुजबल महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली पिछड़े नेताओं में से एक हैं। वे शरद पवार के सहयोगी रहे हैं और हमेशा एनसीपी का पिछड़ा चेहरा रहे हैं। वे अभी अजित प वार की एनसीपी में है। नासिक के इलाके में वे बहुत मजबूत असर रखते हैं। नासिक में भी शहरी निकाय का चुनाव होना और महायुति को पता है कि भुजबल के बगैर वहां मुश्किल होगी।

तभी भुजबल को मजबूरी में मंत्री बनाना पड़ा। उनको धनंजय मुंडे की जगह मंत्री बनाया गया है। पिछले दिनों मुंडे के एक करीबी को एक सरपंच की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद मुंडे को इस्तीफा देना पड़ा था।

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Pic Credit: ANI

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