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शिंदे का कैसे हुआ ऐसा साहस?

एकनाथ शिंदे भारतीय जनता पार्टी की कृपा से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं। इतना ही नहीं भाजपा की कृपा से वे शिव सेना तोड़ पाए, भाजपा की कृपा से शिव सेना के विधायक व सांसद उनके साथ बने रहे और भाजपा की कृपा से ही उनको असली शिव सेना का दर्जा मिला है। फिर भी उन्होंने ऐसा साहस दिखाया कि अखबारों में एक सर्वेक्षण प्रकाशित करा दिया कि राज्य के लोगों की नजर में मुख्यमंत्री पद के लिए वे ज्यादा लोकप्रिय हैं और देवेंद्र फड़नवीस कम लोकप्रिय हैं। मंगलवार को महाराष्ट्र में यह विज्ञापन प्रकाशित हुआ था, जिसमें बताया गया था कि मुख्यमंत्री के रूप में 26.1 फीसदी लोग शिंदे को देखना चाहते हैं और 23.2 फीसदी लोग फड़नवीस के पक्ष में हैं। जब पार्टी की बात आई तो सर्वे में कहा गया कि 30.2 फीसदी लोग भाजपा को और 16.2 फीसदी लोग शिव सेना को पसंद करते हैं।

बाद में शिंदे की पार्टी ने इस विज्ञापन से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि किसी समर्थक ने इसे छपवा दिया होगा, यह पार्टी का काम नहीं है। हालांकि मंगलवार को ही एक कार्यक्रम में शिंदे ने परोक्ष रूप से इसका हवाला दिया और एक कार्यक्रम में कहा कि लोग उनको और फड़नवीस को पसंद कर रहे हैं। जाहिर है उन्होंने बड़ी सावधानी बरती इस काम में। भाजपा को अपनी पार्टी से दोगुना लोकप्रिय बताया लेकिन खुद को फड़नवीस से ज्यादा लोकप्रिय बता दिया। इसका मतलब है कि वे भाजपा से पंगा नहीं चाहते हैं। तभी सवाल है कि फड़नवीस से पंगा लेने और उनके कम लोकप्रिय दिखाने का साहस उनमें कहां से आया? क्या भाजपा के किसी नेता ने उनको प्रेरित किया? जानकार सूत्रों का कहना है कि यह भाजपा की अंदरूनी राजनीति में चल रही खींचतान की वजह से हो रहा है। पार्टी के ही नेता फड़नवीस को नीचा दिखाने में लगे हैं।

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