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फड़नवीस बनाम पवार विवाद का क्या मतलब?

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एक तरफ तो एकनाथ शिंदे को अपना बॉस बता रहे हैं और दूसरी ओर महाराष्ट्र के सबसे बड़े नेता शरद पवार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। आमतौर पर महाराष्ट्र के किसी भी पार्टी का नेता पवार को निशाना नहीं बनाता है। जैसे एक जमाने में बाल ठाकरे पर विपक्षी पार्टियां भी दबी जुबान में ही हमला करती थीं वैसे ही पवार का कद है। लेकिन फड़नवीस लगातार उनके खिलाफ बोल रहे हैं। उनका ताजा आरोप यह है कि पवार ने भी 1978 में कांग्रेस के साथ धोखा किया था। फड़नवीस ने यह आरोप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थन करने के लिए लगाया है। पिछले दिनों शिंदे की बगावत के एक साल पूरा होने के मौके पर शिव सेना ने शिंदे पर गद्दारी का आरोप लगाते हुए गद्दार दिवस मनाया था। उसके बाद ही शिंदे के समर्थन में फड़नवीस ने पवार पर निशाना साधा।

फड़नवीस ने कहा कि पवार ने 1978 में कांग्रेस तोड़ कर अलग सरकार बनाई थी। इसके बाद उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब पवार ने किया था तो यह उनकी रणनीति थी और जब शिंदे ने वही काम किया तो उसको गद्दारी कैसे कह सकते हैं। इसके बाद पवार ने 1978 की बगावत के बारे में विस्तार से बताया। इसमें सबसे खास बात जो निकल कर सामने आई वह ये थी कि जब पवार कांग्रेस से अलग हुए थे तो उनको सरकार बनाने में भारतीय जनसंघ ने मदद की थी। इतना ही नहीं भारतीय जनसंघ के नेता उत्तमराव पाटिल उनकी सरकार में उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बने थे। क्या यह पूरा मामला किसी बहाने इस बात को हाईलाइट करने का है कि पवार भी एक जमाने में जनसंघ के साथ रहे हैं? ध्यान रहे महाराष्ट्र में भाजपा का पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस थे, जिनको 2014 में शरद पवार की एनसीपी ने बाहर से समर्थन दिया था। सोचें, पवार भारतीय जनसंघ के साथ सरकार बना चुके हैं और भाजपा की सरकार बनवा चुके हैं। फिर कौन जानता है कि आगे क्या होगा?

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