खबर है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए लाए गए विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के सदस्य देश की मशहूर हस्तियों से राय लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीशों की राय ली गई है और अब मशहूर हस्तियों से बात की जाएगी। भारत में मशहूर हस्तियों का मतलब ऐसे लोगों से होता है, जो सरकार की राय से अलग अपनी कोई राय नहीं रखते हैं। इसमें फिल्म उद्योग से जुड़े बड़े नाम होते हैं, तो खेल और उद्योग जगत के भी बड़े नाम होते हैं। इनमें से कोई भी मशहूर व्यक्ति सरकार के कामकाज पर सवाल नहीं उठाता है। वह सरकार के हर एजेंडे का समर्थन करता है।
इसलिए कहने की जरुरत नहीं है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर विचार कर जेपीसी जब इन लोगों से बात करेगी तो ये इस विचार का समर्थन करेंगे। वैसे भी उनको कौन सा इस बिल की तकनीकी बातों के बारे में पता है। वे उस नैरेटिव का समर्थन करेंगे, जो सरकार ने सेट किया है। सरकार ने यह बात प्रचारित कर दी है कि पूरे देश के चुनाव एक साथ होंगे तो खर्च कम होगा, समय बचेगा और देश का विकास होगा। सोचें, विपक्षी पार्टियों को इस बिल की तकनीकी बातें मालूम हैं और वे इस बिल का विरोध कर रही हैं। भाजपा विरोधी सभी पार्टियां इस बिल के खिलाफ हैं। जब समूचा विपक्ष बिल के खिलाफ है और तर्क दे रहा है तो मशहूर हस्तियों की राय का क्या मतलब है? सरकार विपक्ष की बात नहीं सुन रही है। कानूनी और चुनाव से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखने वालों की बातें पहले ही खारिज की जा चुकी है। लेकिन मशहूर हस्तियों की राय ली जा रही है। इसका एकमात्र मकसद यह है कि इन मशहूर हस्तियों की राय का प्रचार मीडिया में करके आम लोगों की धारणा मजबूत की जाए कि सरकार यह काम बहुत अच्छा करने जा रही है।