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पीएम का निशाना सिर्फ कांग्रेस पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए लंबा भाषण दिया और इस दौरान उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस रही। उसमें भी अगल बारीकी से देखें तो पार्टी से ज्यादा निशाना नेहरू-गांधी परिवार पर था। उन्होंने यहां तक कहा कि परिवारवाद का खामियाजा कांग्रेस को भी भुगतना पड़ा है। सवाल है कि क्यों कांग्रेस पर इतना हमला करना है? भाजपा का मानना है और खुद प्रधानमंत्री मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस को देश की जनता ने नकार दिया है। उन्होंने सोमवार को भी लोकसभा में कहा कि विपक्ष अगली बार दर्शक दीर्घा में होगा। यानी उसे एक भी सीट नहीं मिलेगी। राहुल गांधी पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस बार बार एक ही प्रोडक्ट लॉन्च करने में लगी है, जिससे उसकी दुकान पर ताला लगने की नौबत आ गई है।

अब सोचें, जो पार्टी अगली बार एक भी सीट नहीं जीतने वाली है, जिसका सर्वोच्च नेता अभी तक लॉन्च नहीं हो पाया है, जिस पार्टी की दुकान पर ताला लगने की नौबत है उस पार्टी के बारे में इतनी बातें करने की क्या जरुरत है? संसद के अपने भाषण में प्रधानमंत्री ज्यादातर समय कांग्रेस और उसके नेताओ के बारे में ही बोले। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक पर हमला किया। उन्होंने नेहरू की इस बात के लिए कठघरे में खड़ा किया कि उन्होंने कहा था कि भारतीय कम काम करते हैं। सोचें, भाजपा का पूरा इकोसिस्टम नारायणमूर्ति की इस बात को सही ठहराने में लगा है कि युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। 21वीं सदी में, जब तमाम किस्म के नियम बन चुके हैं, ऐसी बातों के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन पिछली सदी के पांचवें-छठे दशक में नेहरू ने देश के लोगों से ज्यादा काम करने को कहा था तो उनकी आलोचना हो रही है।

इंदिरा गांधी की आलोचना भी इसलिए कि उन्होंने कहा था कि जरा सी उपलब्धि पर हम आत्मसंतोष से भर जाते हैं और विफलता पर निराशा में डूब जाते हैं। यह तो आज के भारत के लिए भी पूरी तरह से सही है। अमेरिका के एक छोटे से शहर की एक छोटी सी वेबसाइट प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बता देती है तो क्या भारत के सब लोग आत्मसंतोष से नहीं भर जाते हैं? बहरहाल, चुनाव से पहले कांग्रेस की इतनी आलोचना इसलिए हो रही है क्योंकि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में हारने के बावजूद कांग्रेस को 40 फीसदी वोट मिलने, दक्षिण भारत में कांग्रेस का पैर जमने और राहुल गांधी की यात्रा ने भाजपा नेताओं की नींद उड़ाई है।

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