प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया तो इसके गुणदोष पर चर्चा से ज्यादा कांग्रेस का इकोसिस्टम इस फैसले का श्रेय राहुल गांधी को देने में लग गया। कहा जाने लगा कि असली भविष्यवक्ता तो राहुल गांधी हैं, देश के बाकी बाबा लोग तो फर्जी पर्ची निकाल रहे हैं। कोई व्यक्ति यह चर्चा नहीं कर रहा है कि राहुल गांधी ने दो साल पहले यानी अप्रैल 2023 में जाति गणना की मांग शुरू की थी। उससे पहले कोई बता दे कि राहुल ने या कांग्रेस के किसी नेता ने जाति गणना की बात कही हो! कांग्रेस के इकोसिस्टम का कोई व्यक्ति यह भी देख रहा है कि मोदी और भाजपा को जाति गणना कराने के फैसले में फायदा दिख रहा है तो उन्होंने यह फैसला कर लिया। ऐसे ही जितने भी फैसलों का श्रेय राहुल को दिया जा रहा है वे फैसले सरकार ने अपनी सुविधा के हिसाब से और अपने फायदे के लिए किए हैं। मिसाल के तौर पर राहुल और कांग्रेस पेट्रोलियम उत्पादों के दाम घटाने को कह रहे हैं। अगर चुनाव से पहले सरकार दाम कम कर दे तो तुरंत उसका श्रेय राहल को दिया जाएगा लेकिन उसका फायदा मोदी और भाजपा को होगा।
पता नहीं इतनी बेसिक बात कांग्रेस के नेता और उसके इकोसिस्टम के लोग क्यों नहीं समझ रहे हैं! बहरहाल, जाति गणना के सरकार के फैसले का श्रेय राहुल गांधी को देने के साथ साथ और भी कई पुराने फैसले निकाले जा रहे हैं। जैसे केंद्र सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लिए क्योंकि राहुल ने कहा था। सोचें, कांग्रेस का पूरा इकोसिस्टम कैसे किसानों के एक साल के आंदोलन, संघर्ष और सात सौ किसानों की शहादत को कमतर कर रहा है! ऐसे ही चुनावी बॉन्ड खत्म करने का फैसला है। चुनावी बॉन्ड का विरोध सभी विपक्षी पार्टियां कर रही थीं लेकिन उसे खत्म तो सुप्रीम कोर्ट ने किया। अडानी का मामला हिंडनबर्ग रिसर्च ने खोला लेकिन उसका भी श्रेय भी राहुल गांधी को दिया जाता है। असल में यह एक ट्रिक है कि आपको बहुत सारी बातें बोलनी हैं, जो विपक्ष में रहते हुए आप बोलेंगे ही उसमें से जो सही हो जाए उसका श्रेय ले लेना है। सही है कि राहुल की कही बहुत सारी बातें सही साबित हुई हैं लेकिन चुनाव जीतने की भविष्यवाणी सही नहीं हो रही है। ‘भाजपा को हरा देंगे’ वाली उनकी भविष्यवाणी सही हो तो बात बने।