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राजद, कांग्रेस को सीटें छोड़नी होंगी

Patna, Jan 18 (ANI): Lok Sabha LoP and Congress MP Rahul Gandhi with Rashtriya Janta Dal (RJD) Chief Lalu Prasad Yadav, Bihar Congress in-charge Mohan Prakash, RJD MLA Tej Pratap Yadav and others arrives at the residence of Lalu Prasad Yadav, in Patna on Saturday. (ANI Photo)

बिहार में विपक्षी गठबंधन की ओर से इस बात का जोर शोर से प्रचार किया गया कि महागठबंधन में दो नई पार्टियों को शामिल किया गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले से झारखंड में महागठबंधन का हिस्सा है लेकिन बिहार में उसके भी साथ आने की घोषणा हुई। इस घोषणा से पहले बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम सुप्रीमो हेमंत सोरेन शामिल हुए थे। उनकी पार्टी के अलावा रामविलास पासवान के भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को भी महागठबंधन में शामिल करने का ऐलान किया गया। तेजस्वी यादव के आवास पर हुई बैठक में इसकी घोषणा हुई। ध्यान रहे महागठबंधन में पहले से छह पार्टियां हैं। राजद और कांग्रेस के अलावा लेफ्ट की तीन पार्टियों और मुकेश सहनी की वीआईपी इसका हिस्सा हैं। अब दो और पार्टियां इसमें शामिल हो गई हैँ।

तभी सवाल है कि इन आठ पार्टियों के बीच 243 सीटों का बंटवारा कैसे होगा? कांग्रेस पार्टी पिछली बार लड़ी 70 सीटों में ज्यादा समझौता करने के मूड में नहीं है तो सीपीआई एमएल को विधानसभा और लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन के आधार पर सीटें बढ़वानी हैं। पिछली बार सीपीआई माले को 19 सीटें मिली थीं। नए सहयोगी मुकेश सहनी जुड़े हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ थे। राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अगर राजद और कांग्रेस अपनी सीटें नहीं छोड़ते हैं तो पार्टियों को एडजस्ट करना मुश्किल होगा। अगर कंजरवेटिव नजरिए से भी देखें तो हेमंत सोरेन को कम से कम एक और ज्यादा से ज्यादा दो सीटें देनी होंगी। ऐसे ही पशुपति पारस की पार्टी को तीन या चार सीटें देने की खबर है। मुकेश सहनी 30 सीट पर अड़े हैं लेकिन कम से कम 15 सीटें उनको भी मिलेंगी। तीनों लेफ्ट पार्टियों को पिछली बार 29 सीटें मिली थीं। इस बार कम से कम 30 सीट भी मानते हैं तो इन पार्टियों का हिस्सा 50 सीट का होगा। इसके बाद बची हुई 193 सीटों में अगर राजद 140 सीट लड़ती है तो कांग्रेस को 53 से समझौता करना होगा। अगर कांग्रेस की सीटें बढ़ानी हैं तो राजद की सीटें और भी कम होंगी। तभी महागठबंधन का भविष्य इन दो पार्टियों के ऊपर निर्भर है।

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