Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

अवधेश प्रसाद का मुद्दा उलटा पड़ सकता है

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों फैजाबाद से चुनाव जीते सपा के अवधेश प्रसाद को इनामी ट्रॉफी की तरह संसद में घुमा रही है। सत्र के पहले दिन जब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद संसद पहुंचे तो उन्होंने एक हाथ में संविधान की प्रति ली थी और दूसरे हाथ से अवधेश प्रसाद का हाथ थाम रखा था। बाद में पहली बार के सांसद अवधेश प्रसाद को अगली पंक्ति में बैठाया गया और अब कहा जा रहा है कि विपक्ष की ओर से उनको लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के तौर पर आगे किया जा सकता है। विपक्षी पार्टियां अवधेश प्रसाद की नुमाइश इसलिए लगा रही हैं क्योंकि वे फैजाबाद से जीते हैं, जिस लोकसभा क्षेत्र में अयोध्या का इलाका आता है।

सो, उनके सहारे विपक्षी पार्टियां यह संदेश बनवा रही हैं कि राम का या हिंदुत्व का मुद्दा अब समाप्त हो गया है और आम लोगों के जीवन से जुड़े रोजमर्रा के मुद्दे प्रमुख हो गए हैं, तभी अयोध्या के लोगों ने भी भाजपा को हरवा दिया। पहले दिन से यह संदेश बन रहा है। इसके बाद हिंदुओं के कई समूहों ने अयोध्या के हिंदुओं की आलोचना शुरू कर दी और उनके बहिष्कार की बातें होने लगी। जिस तरह से वह प्रतिक्रिया अतिवादी थी उसी तरह अवधेश प्रसाद की नुमाइश भी अतिवादी है। उनकी नुमाइश लगाने का एक कारण यह भी है कि वे दलित समाज से आते हैं और सपा ने उनको फैजाबाद की सामान्य सीट से लड़ाया था, जहां उन्होंने भाजपा के लल्लू सिंह को हरा दिया।

लेकिन यह संभव है कि विपक्ष की यह नुमाइश नुकसान पहुंचा दे। अवधेश प्रसाद के ज्यादा प्रचार से यह संदेश भी बन रहा है कि विपक्षी पार्टियां हिंदुओं का मजाक उड़ा रही हैं। यह भी धारणा बन रही है कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण और उद्घाटन के बरक्स अवधेश प्रसाद को आगे करके भाजपा को और उनके समर्थकों को चिढ़ाया जा रहा है। अगर इसी तरह विपक्ष का अतिवाद जारी रहा तो जो हिंदू मतदाता भाजपा से नाराज हुए हैं वे एकजुट भी हो सकते हैं। इसी तरह भाजपा वालों ने राहुल गांधी को अमेठी हारने पर चिढ़ाया था और उसके बाद क्या हुआ यह सबने देखा है।

Exit mobile version