पहली बार ऐसा लग रहा है कि बृहन्नमुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी के चुनाव में ठाकरे परिवार का वर्चस्व समाप्त हो सकता है। ठाकरे परिवार के नियंत्रण वाली शिव सेना कमजोर हो गई है। एकनाथ शिंदे असली शिव सेना के नेता हैं और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हैं। भाजपा का उनके साथ तालमेल है। ऐसे में उद्धव ठाकरे की शिव सेना अकेली और कमजोर है। उसकी सहयोगी एनसीपी की ओर से भाजपा के साथ जाने के संकेत दिए जा रहे हैं तो कांग्रेस ने बीएमसी का चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में पिछले करीब तीन दशक से बीएमसी पर राज कर रहे ठाकरे परिवार के हाथ से बीएमसी निकलने का खतरा है। वैसे अभी बीएमसी भंग है और इसका कामकाज राज्य सरकार ही देख रही है।
बहरहाल, बीएमसी हाथ से नहीं निकले इसके लिए ठाकरे परिवार में एकजुटता के प्रयास चल रहे हैं। उद्धव और राज ठाकरे को एक साथ लाने की कोशिश हो रही है। दोनों के बीच काफी समय से बातचीत चल रही है और कहा जा रहा है कि बीएमसी चुनाव से पहले दोनों की पार्टियों में तालमेल की घोषणा हो सकती है। इसका मतलब है कि ठाकरे परिवार एक होकर अपनी विरासत बचाने की कोशिश करेगा। विरासत के साथ साथ यह दोनों परिवारों की ताकत का स्रोत भी है। शिव सेना की असली ताकत उसके सांसद व विधायक नहीं, बल्कि उसके पार्षद होते हैं। उन्हीं के दम पर ठाकरे परिवार मुंबई का किंग बना रहता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों भाइयों की एकता में भाजपा क्या करती है क्योंकि भाजपा इस बार बीएमसी में अपना परचम लहराने की उम्मीद कर रही है।