Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

स्पीकर के सामने जेपीसी बनाने की चुनौती

ऐसा आमतौर पर नहीं होता है लेकिन गिरफ्तारी और 30 दिन की हिरासत पर मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को पद से हटाने के लिए लाए गए तीन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी में भेजने के बाद विवाद शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टियां इसके बहिष्कार की फैसला कर रही हैं और स्पीकर ओम बिरला के लिए जेपीसी का गठन मुश्किल हो गया है। स्पीकर ओम बिरला ने सभी पार्टियों से जेपीसी के लिए सदस्यों के नाम मांगे हैं। लेकिन किसी पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने जेपीसी का बहिष्कार नहीं किया है फिर भी उसने स्पीकर को नाम सौंपने की हड़बड़ी नहीं दिखाई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस मामले में दूसरी विपक्षी पार्टियों की राय ले रही है। कांग्रेस की जो राय होगी उसके हिसाब से डीएमके, राजद, सीपीएम आदि पार्टियां फैसला करेंगी।

तृणमूल कांग्रेस ने सपा के साथ मिल कर इसका बहिष्कार कर दिया है। टीएमसी की ओर से याद दिलाया गया है कि पहली बार विपक्षी पार्टियां किसी जेपीसी का बहिष्कार नहीं कर रही हैं। डेरेक ओ ब्रायन ने याद दिलाया कि बोफोर्स मामले की जांच के लिए जेपीसी बनी थी तो छह पार्टियों ने उसका बहिष्कार किया था। उसमें तेलुगू देशम पार्टी और असम गण परिषद भी शामिल थी, जो अब एनडीए में है। स्पीकर के सामने मुश्किल यह है कि इस बार विपक्ष की लगभग सभी पार्टियां एक गठबंधन में हैं। उनका फैसला एक राय से हो सकता है। पहले ही तरह विपक्ष बिखरा होता तो मुश्किल नहीं होती। दूसरे, विपक्षी गठबंधन से बाहर की पार्टियों के पास सांसद नहीं हैं। बीजू जनता दल, बीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के पास गिने चुने सांसद हैं। बीजद का तो लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है और वाईएसआर कांग्रेस के चार हैं। ऐसे में इन पार्टियों को विपक्ष मान कर इनके सहारे जेपीसी नहीं बनाई जा सकती है। तभी विपक्ष के फैसले का इंतजार हो रहा है।

Exit mobile version