बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही कांग्रेस के अंदर खींचतान तेज हो गई थी। कांग्रेस का विवाद बढ़ गया था। लेकिन नतीजों के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी। इसका संकेत दूसरे चरण के मतदान के दिन ही दिख गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर शकील अहमद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिख कर अपनी शिकायत बताई और पार्टी छोड़ दी। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाए। मीडिया से बात में उन्होंने कहा कि जो मौजूदा नेतृत्व है उसने पार्टी के तमाम नेताओं को दरकिनार किया। उन्होंने मतदान खत्म होते ही इस्तीफा भेजा और यह लिखा कि पहले इसलिए इस्तीफा नहीं दिया था क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि पार्टी के चुनाव अभियान पर कोई निगेटिव असर पड़े।
इसके बाद जो चुनाव नतीजा आया वह सबको हैरान करने वाला था। कांग्रेस छह सीटों पर सिमट गई, जबकि पिछले बार खराब प्रदर्शन के बावजूद उसे 19 सीटें मिली थीं। इस नतीजे के बाद पार्टी के एक दूसरे वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद व पूर्व आईपीएस अधिकारी निखिल कुमार ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए। इनके अलावा अनेक नेता पहले से भरे बैठे हैं, जिनको पार्टी के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने दरकिनार किया। उन्होंने राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, जो खुद चुनाव हार गए। विधायक दल के नेता शकील अहमद खान भी चुनाव हार गए। पप्पू यादव के पूर्णिया में कांग्रेस बुरी तरह से हारी तो कन्हैया कुमार के बेगूसराय में भी बुरी तरह से हारी। अब कांग्रेस के नेता अपनी शिकायतों का पुलिंदा लेकर तैयार हैं। उनका कहना है कि बिना आधार वाले लोगों को प्रभारी और संगठन सौंपने से गठबंधन भी बिखरा और कांग्रेस भी बुरी तरह से हारी।
