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स्पीकर के लिए समय सीमा तय करेगी अदालत

हत्याकांड

speaker time limit  : ऐसा लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसले के लेकर समय सीमा तय करने पर विचार कर रहा है।

मंगलवार, 25 मार्च को हुई सुनवाई में जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया है कि विधायकों की अयोग्यता का मामला महीनों नहीं, बरसों लंबित रहता है और विधानसभा स्पीकर फैसला नहीं करते हैं।

कई बार तो विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाता है और फैसला नहीं होता है, जैसा कि झारखंड की पिछली विधानसभा में हुआ। भाजपा के विधायक बाबूलाल मरांडी और कांग्रेस के दो विधायकों बंधु तिर्की और प्रदीप यादव की अयोग्यता का मामला पांच साल तक स्पीकर के पास लंबित रहा। (speaker time limit )

दलबदल के आधार पर इनकी शिकायत की गई थी लेकिन स्पीकर ने फैसला नहीं किया। स्पीकर के फैसला नहीं करने से बाबूलाल मरांडी चार साल तक भाजपा विधायक दल के नेता होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष नहीं बन सके। बंधु तिर्की भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए गए और सदस्यता चली गई लेकिन स्पीकर का फैसला नहीं हुआ।

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भारत राष्ट्र समिति का मामला (speaker time limit ) 

अब सुप्रीम कोर्ट के सामने भारत राष्ट्र समिति का मामला है। पार्ट की ओर अपने नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका स्पीकर को दी गई है।

असल में चुनाव के बाद बीआरएस के नौ विधायक पाला बदल कर सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ चले गए। ऐसा ही पहले भी हुआ था, जब बीआरएस जीती थी तो कांग्रेस के सांसद, विधायक उसके साथ चले गए थे। (speaker time limit )

लेकिन नौ विधायकों के बारे में बीआरएस की शिकायत स्पीकर के पास एक साल से लंबित है। स्पीकर के फैसला नहीं करने पर बीआरएस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर गंभीर है। इसका कारण यह है कि कुछ समय पहले महाराष्ट्र के शिव सेना और एनसीपी विधायकों की अयोग्यता का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था। (speaker time limit )

उसमें भी स्पीकर ने काफी समय तक फैसला लंबित रखा था। सुप्रीम कोर्ट के कई बार के निर्देश के बाद इस मामले में फैसला हुआ। अगर सुप्रीम कोर्ट पीठासीन अधिकारियों के लिए कोई समय सीमा तय कर दे तो अनैतिक तरीके से होने वाले दलबदल पर रोक लगेगी।

इस तरह की समय सीमा राज्यपालों के लिए भी तय करने की बात हो रही है। वह मामला भी अदालत में है। राज्यपाल विधानसभा से पास विधेयकों को महीनों, सालों लंबित रखते हैं। विधान परिषद में मनोनयन की सूची में बरसों लंबित रहने का मुद्दा सामने आ चुका है। (speaker time limit )

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