चुनाव आयोग की टीम ने बिहार का दो दिन का दौरा किया। यह एक ऐसी औपचारिकता होती है, जो हर राज्य में चुनाव से पहले पूरी की जाती है। चुनाव आयोग ने पार्टियों से चुनाव की तारीखों के बारे में सलाह मशविरा किया और यह भी जानना चाहिए कि कितने चरणों में चुनाव होना चाहिए। रविवार को अखबार भरे पड़े थे इन खबरों से किस पार्टी ने कितने चरण में चुनाव कराने को कहा। असल में इन बातों का कोई मतलब नहीं होता है। हर बार सत्तारूढ़ दल जो चाहता है कि उस हिसाब से चुनाव की तारीखें तय होती हैं और यह भी तय होता है कि कितने चरण में चुनाव होगा। आज तक ऐसा नहीं हुआ होगा चुनाव आयोग ने विपक्षी पार्टियों का सुझाव मान लिया हो। इसलिए यह तय मानें कि जैसे भाजपा ने कहा कि छठ के बाद और दो चरण में चुनाव कराया जाए तो ज्यादा अंदाजा है कि दो चरण में ही चुनाव होगा।
लेकिन इसमें पहले से ही कोई सस्पेंस नहीं रह गया था। रेल मंत्री ने बिहार से बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों, पेशेवरों और ऑटो, रिक्शा चलाने वालों को सौ, दो सौ रुपए की भारी भरकम राशि का लाभ पहुंचाने की योजना घोषित की थी। उसी से पता चल गया था कि बिहार का चुनाव कब तक संपन्न होगा। असल में रेल मंत्रालय ने कहा है कि देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले लोग दिवाली और छठ के लिए जिस ट्रेन से बिहार जाएंगे, अगर वे 17 नवंबर के बाद उसी ट्रेन से लौटेंगे तो उनको टिकट में 20 फीसदी की भारी भरकम छूट मिलेगी। फर्ज करेंगे अगर दिल्ली से कोई मजदूर पटना गया है और 17 सितंबर के बाद उसी ट्रेन के दूसरे दर्जे या जेनरल क्लास में लौटेगा तो उसे पांच सौ रुपए की टिकट एक सौ रुपए की छूट मिलेगी। रेल मंत्री चाहते हैं कि 28 अक्टूबर को छठ समाप्त हो जाने के बाद इस एक सौ रुपए की छूट के लिए बिहार के मजदूर 17 सितंबर तक रूके रहे हैं। इस बीच उनकी नौकरी चली जाए तो चली जाए लेकिन वे 17 तक रूकें और वोट डाल कर लौटें। इससे जाहिर हो गया था कि मतदान की प्रक्रिया 15 नवंबर तक पूरी होगी। चूंकि अक्टूबर क पहले हफ्ते के बाद चुनाव की घोषणा होगी और दो चरण में होगी तो यह पहले से तय है कि पांच से 15 नवंबर के बीच मतदान होगा। ध्यान रहे बिहार के लोग छठ के बाद दो चार दिन से ज्यादा रूकते नहीं हैं क्योंकि सबको नौकरी करनी होती है।