वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़े आ गए हैं। भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के बढ़ने की दर 6.5 फीसदी रही। इसके साथ ही यह भी आंकड़ा आया कि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2025 के बीच जीडीपी बढ़ने की दर 7.4 फीसदी रही। यह आंकड़ा एक साल पहले यानी जनवरी से मार्च 2024 की विकास दर 8.4 फीसदी से एक फीसदी कम रही। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर सेक्टर में गिरावट रही। ध्यान रहे उससे पहले के वित्त वर्ष में विकास दर 9.2 फीसदी रही थी, जो 2024-25 में घट कर साढ़े छह फीसदी पर आ गई। अगले दो वित्त वर्ष में भी इसके इसी के आसपास रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
ध्यान देने की बात है कि जनवरी से मार्च की अवधि वह थी, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा था। दावा किया गया कि 60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कुंभ में डूबकी लगाई। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से दावा किया जा रहा था कि कुंभ से तीन लाख करोड़ रुपए का कारोबार जीडीपी में जुड़ेगा और उपभोक्ता खर्च बढ़ने का असर जीडीपी पर दिखाई देगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च जब कुंभ चल रहा था उस समय उपभोक्ता खर्च बढ़ने की दर सिर्फ छह फीसदी रही, जो उससे पहले की पांच तिमाहियों में सबसे कम है। इसका मतलब है कि महाकुंभ उपभोक्ता खर्च नहीं बढ़ा पाया और देश की अर्थव्यवस्था पर वैसा सकारात्मक असर नहीं डाल पाया, जैसे असर का प्रचार किया जा रहा था।
