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आरक्षण की मांग का बढ़ता दायरा

भारत में राजनीति और समाज व्यवस्था को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला मुद्दा आरक्षण है। यह कभी खत्म नहीं होगा। जब तक धरती, सूरज, चांद रहेंगे तब तक आरक्षण रहेगा, आरक्षण का मुद्दा रहेगा और तब तक कोई न कोई जाति या तो आरक्षण की मांग कर रही होगी या आरक्षण बदलवाने की मांग कर रही होगी। कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र में मराठाओं को ओबीसी कुनबी जाति का सर्टिफिकेट देकर आरक्षण देने का ऐलान हुआ, जिसके बाद से ओबीसी आरक्षण में शामिल जातियां आंदोलन कर रही हैं। लेकिन इसके अलावा कई आंदोलन आरक्षण की श्रेणी बदलने के लिए चल रहे हैं।

झारखंड और पश्चिम बंगाल में पिछले कई दिनों से कुर्मी समुदाय अपने को आदिवासी में शामिल करके अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का लाभ देने की मांग कर रहा है। इसके लिए आंदोलन चल रहा है और एक पूरे इलाके में ट्रेनों की सेवा बाधित की गई है। कुर्मी आदिवासी  समाज का गठन हो गया है और वे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। कुर्मी को ओबीसी का आरक्षण मिला हुआ है लेकिन उनको एसटी में शामिल होना है क्योंकि ओबीसी श्रेणी में बहुत प्रतिस्पर्धा है और एसटी में आरक्षण का पूरा लाभ मिल जाएगा। ठीक इसी समय महाराष्ट्र में धनगर समाज के लोग एसटी में शामिल होने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। राजस्थान में गुर्जर अपने को एसटी बनाने की मांग करते हैं, जिसके विरोध में मीणा लोगों का आंदोलन होता रहता है। ध्यान रहे अभी देश की सारी जातियों को आरक्षण मिल गया है। सो, अब आरक्षण बढ़वाने या श्रेणी बदलवाने का दौरा शुरू हुआ है।

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