भारत में एक समय जब शुचिता और विचारधारा की राजनीति होती थी तो पदानुक्रम का बड़ा ध्यान रखा जाता था। यह कभी सुनने को नहीं मिलता था कि अमुक जी मुख्यमंत्री थे और बाद में उप मुख्यमंत्री या मंत्री बन गए। एक बार जो मुख्यमंत्री बन जाता था वह फिर या तो केंद्र में मंत्री बनना था या फिर मुख्यमंत्री ही बनता था। मुख्यमंत्रियों के मंत्री बनने की मिसाल नहीं थी। संभवतः भाजपा ने इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से की थी, जहां मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद बाबूलाल गौर मंत्री बन गए थे। वे उमा भारती के हटने के बाद मुख्यमंत्री बने थे और फिर जब उनको हटा कर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया तो वे चौहान सरकार में मंत्री बन गए। इसके बाद यह सिलसिला निर्बाध चल रहा है।
ताजा मिसाल दिगम्बर कामत की है। उनको गोवा में प्रमोद सावंत की सरकार में मंत्री बनाया गया है और बड़ी जद्दोजहद के बाद उनको पीडब्लुडी का मंत्रालय मिला है। ध्यान रहे दिगम्बर कामत 2007 में यानी 18 साल पहले गोवा के मुख्यमंत्री बने थे और 2017 में उनके चक्कर में गोवा में कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई थी। ध्यान रहे 2017 में कांग्रेस गोवा में 17 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर कई दिन तक मामला उलझा रहा और इस बीच वहां भाजपा ने जोड़तोड़ करके सरकार बना ली। मनोहर पर्रिकर को दिल्ली से गोवा भेज दिया गया। वे रक्षा मंत्री से इस्तीफा देकर गए और मुख्यमंत्री बन गए। अब वही दिगम्बर कामत अपने से बहुत जूनियर प्रमोद सावंत की सरकार में मंत्री बन गए हैं और निश्चित रूप से पीडब्लुडी विभाग मिलने से खुश होंगे।
इस सिलसिले में सबसे दिलचस्प मिसाल महाराष्ट्र के देवेंद्र फड़नवीस और एकनाथ शिंदे की है। एकनाथ शिंदे महाविकास अघाड़ी की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे। उन्होंने शिव सेना तोड़ी तो भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री बना दिया। उद्धव ठाकरे से पहले पांच साल मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फड़नवीस को एकनाथ शिंदे की सरकार में उप मुख्यमंत्री बना दिया गया। यह बहुत हैरान करने वाला इसलिए रहा क्योंकि 2014 से 2019 तक जब फड़नवीस मुख्यमंत्री थे, तब शिंदे शिव सेना कोटे से उनके नीचे मंत्री थे। यह पहली बार हुआ कि कोई मुख्यमंत्री अपने अधीन रहे मंत्री के नेतृत्व वाली सरकार में उसके नीचे उप मुख्यमंत्री बने!
बहरहाल, फिर खेल पलटा और 2024 के चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 132 सीटें जीतीं। तब भी फड़नवीस को रोकने की कोशिश हुई लेकिन वे मुख्यमंत्री बन गए। उनकी सरकार से पहले मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे अभी उनकी सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में पहले भी ऐसा हो चुका है, जब शिव सेना के मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे कांग्रेस में गए तो कांग्रेस ने उनको राज्य सरकार में मंत्री बना दिया था। फिर यह सिलसिला झारखंड में दोहराया गया, जहां हेमंत सोरेन इस्तीफा देकर जेल गए तो चम्पई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया और जब हेमंत जेल से छूट कर लौटे तो वापस मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और चम्पई सोरेन उनकी सरकार में मंत्री बन गए। तमिलनाडु में भी यह सिलसिला जयललिता ने आजमाया था। उन्होंने जेल जाते समय ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाया और फिर जेल से छूट कर आईं तो अपनी सरकार में पनीरसेल्वम को मंत्री बनाया। संभवतः कांग्रेस ने अभी तक इस सिलसिले में अपना योगदान नहीं दिया है। यानी अपने किसी मुख्यमंत्री को बाद में राज्य सरकार का मंत्री नहीं बनाया है।